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वर्ष 2025 से केदारनाथ की पैदल यात्रा वन-वे प्रणाली में बदल जाएगी। इसके लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक के पुराने पैदल मार्ग का पुनर्जीवन किया जा रहा है, जो 5.35 किमी लंबा होगा। यह मार्ग 1.8 मीटर चौड़ा होगा और यात्रियों के लिए यात्रा को आसान बनाएगा। इससे गरुड़चट्टी फिर से विकसित होगा और केदारनाथ धाम तक पहुंचने में सहूलियत होगी, साथ ही वर्तमान मार्ग पर बढ़ते दबाव को भी कम किया जा सकेगा।

जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का 7 किमी का रास्ता पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इसके बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने नया मार्ग बनाया, जिसे पिछले दस सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। हालाँकि, यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण इस मार्ग पर भी दबाव बढ़ गया है। हाल ही में आई आपदा ने इस मार्ग को भी नुकसान पहुंचाया है।

पुराने मार्ग के पुनर्जीवन के लिए लोक निर्माण विभाग की टीम पिछले दो सप्ताह से काम कर रही है। गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक 3.5 किमी का रास्ता पहले से ही मौजूद है, और मंदाकिनी नदी पर पुल भी तैयार हो चुका है। नए मार्ग के माध्यम से यात्री धाम की ओर जाएंगे और पुराने मार्ग से लौटेंगे, जिससे गरुड़चट्टी में फिर से गतिविधि बढ़ेगी।2015 से पुराने रास्ते के पुनर्जीवन का कार्य शुरू हो चुका है। इस वर्ष की शुरुआत में पर्यावरण मंत्रालय से आवश्यक अनुमति प्राप्त हुई और मार्च-अप्रैल में वन संपदा की क्षतिपूर्ति की गई।

अब तक लगभग 1 किमी की कटान की जा चुकी है और इस रास्ते के निर्माण में लगभग पांच करोड़ रुपये का खर्च आएगा। दूसरे चरण में रास्ते को सुरक्षित करने के लिए रेलिंग और अन्य सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। इस नए रास्ते के बनने से केदारनाथ की यात्रा और भी आसान और सुलभ हो जाएगी।

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