उत्तराखंड में अब हर भूमि को एक विशिष्ट यूनिक आईडी (विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या) से चिह्नित किया जाएगा। राज्य के राजस्व विभाग ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया है, और इस वर्ष के अंत तक सभी भूमि के लिए यूनिक आईडी तैयार करने का लक्ष्य है। अब तक तीन हजार गांवों में इस योजना को पूरा किया जा चुका है, और शेष गांवों में कार्य प्रगति पर है।परंपरागत रूप से भूमि से संबंधित जानकारी खसरा-खतौनी के माध्यम से प्राप्त होती है, लेकिन अब केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से हर भूमि के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या दी जा रही है। यह आईडी न केवल भूमि के स्थान, बल्कि उसके देशांतर और अक्षांश निर्देशांक, भूमि स्वामी की जानकारी, और अन्य संबंधित विवरणों को भी समाहित करेगी।राजस्व विभाग के अनुसार, इस काम के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है, जो डिजिटल मैपिंग, खेत नंबर और उसके गूगल कोऑर्डिनेट्स को मिलाकर भूमि की विशिष्ट आईडी तैयार करता है।
भविष्य की सुविधा
इस नई प्रणाली के लागू होने से भूमि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया और सरल हो जाएगी। लोगों को खसरा-खतौनी या राजस्व विभाग की वेबसाइटों पर भूमि के विवरण के लिए खोज करने की आवश्यकता नहीं होगी। केवल यूनिक आईडी के माध्यम से ही किसी भी भूमि की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।