गोवर्धन पूजा के दिन ताकुला ब्लॉक के पटिया में बग्वाल खेला गया। दो खामो में बटे रणबांकुरों में एक दूसरे पर जमकर पत्थरों की बारिश की। करीबन आधे घंटे तक। चली बग्वाल में 10-12 रणबांकुर चोटिल हो गए। पाषाण युद्ध को देखने के लिए मौजूद दर्शकों ने भी रणबांकुरों का उत्साह बढ़ाया।
पाटिया क्षेत्र में गोवर्धन पूजा के मौके पर बग्वाल खेलने की परंपरा वर्षों से चलती आ रहा है। बुधवार को भी उमंग और उत्साह के साथ भगवान खेली गई। एक दल में पाटिया और भटगांव के लोग थे तो दूसरे दल में कोट्यूड़ा और कसून के रणबांकुरों थे। परंपरा के मुताबिक पाटिया के पचघटिया में ढोल नगाड़ों की गर्जना के बीच गाय की पूजा के साथ पाषाण युद्ध का आगाज किया गया। रणबांकुरों ने चीड की टहनी खेत में गाड़कर बग्वाल की अनुमति ली।
पाटिया के प्रधान हेमंतकुमार, क्षेत्र पंचायत सदस्य संगीता टम्टा और कोट्यूड़ा के प्रधान भुवन चंद आर्या के साथ पत्थर मारने के बाद बग्वाल शुरू करने की घोषणा के बाद दोनों खामो के योद्धा पचघटिया नदी के आरपार एकत्र हुए। इसके बाद पाषाण युद्ध हुआ। करीबन आधे घंटे तक आसमान में पत्थरों की बौछार हुई। दोनों तरफ से रणबांकुरों ने एक दूसरे पर पत्थरों की बारिश की।
करीबन आधे घंटे तक चली बग्वाल में 10 से 12 रणबाकुरे चोटिल हो गए घायलो का मौके पर ही इलाज किया गया। रणबांकुरों के नदी तक पहुंचने और पानी पीने के बाद। पत्थर युद्ध की समाप्ति की घोषणा की गयी पाटिया के प्रधान हेमंत कुमार ने बताया कि पाटिया के रणबांकुर पहले पानी पीकर विजयी रहे।
युद्ध समाप्ति की घोषणा के बाद चारों खामों के रणबुकारों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी और अगले साल बग्वाल में फिर से मिलने का वादा कर अपने अपने घर चले गए।
बग्वाल में चोटिल होना माना जाता है शुभ
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि बग्वाल में चोटिल होना बहुत शुभ माना जाता है। भगवान खेलने वाला रणबुकारों को नियमों का पालन करना पड़ता है। सच्चे मन से बग्वाल खेलने पर रणबांकुरों की मनोकामना जरूर पूरी होती है।