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मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (PMNDP) के तहत राज्य में डायलिसिस सेवाओं की समीक्षा करते हुए गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले मरीजों और आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क सेवाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। प्रदेश के 13 जिलों में संचालित 19 डायलिसिस केंद्रों के माध्यम से यह सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

निशुल्क और सुलभ सेवाओं का विस्तार
इन केंद्रों में 153 डायलिसिस मशीनों की सहायता से बीपीएल परिवारों और आयुष्मान कार्ड धारकों को निशुल्क डायलिसिस सुविधा दी जा रही है। वहीं, एपीएल परिवारों को भी न्यूनतम शुल्क पर हेमोडायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्य सचिव ने सभी जिलों में 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को समयबद्धता के साथ कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।

संसाधनों का बेहतर उपयोग और सीएसआर का योगदान
पीपीपी मॉडल और सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत 82 डायलिसिस मशीनें संचालित हो रही हैं, जबकि हंस फाउंडेशन की ओर से 49 मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। वर्ष 2024 में दिसंबर तक 1,17,490 डायलिसिस प्रक्रियाएं पूरी की गईं। मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पीएमएनडीपी पोर्टल का उपयोग करते हुए डायलिसिस कराने वाले मरीजों का रिकॉर्ड व्यवस्थित रूप से रखें।

पर्वतीय क्षेत्रों में सेवाओं का विस्तार प्राथमिकता
मुख्य सचिव ने कहा कि हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया में अत्यधिक खर्च होता है, जिससे किडनी रोगियों पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है। पर्वतीय क्षेत्रों में डायलिसिस केंद्रों की दूरी इस समस्या को और जटिल बनाती है। ऐसे में राज्य सरकार का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली डायलिसिस सेवाओं को कम लागत पर उपलब्ध कराना है।

कार्य प्रणाली में सुधार और सेवाओं का प्रभावी क्रियान्वयन
मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि डायलिसिस सेवाओं को बेहतर कार्य प्रणाली के साथ लागू किया जाए। साथ ही, राज्य के सभी जिलों में सेवाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि किडनी रोग से पीड़ित मरीजों को समय पर राहत मिल सके।

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