चुनावी मैदान में प्रचार के रंग भाजपा व कांग्रेस के ही ज्यादा नजर आ रहे हैं। स्टार प्रचारकों के साथ ही धरातल पर संगठन की सक्रियता भी है। चुनावी मैदान में प्रचार के रंग भाजपा व कांग्रेस के ही ज्यादा नजर आ रहे हैं। स्टार प्रचारकों के साथ ही धरातल पर संगठन की सक्रियता भी है।
लोकसभा चुनाव का महासंग्राम अपने चरम पर पहुंचने को है। इसके बावजूद आम मतदाताओं में चुनावी शोर का असर पड़ता नहीं दिख रहा है। हालांकि प्रत्याशी इंटरनेट मीडिया से लेकर जन सभाओं में मतदाताओं को साधने में लगे हैं। एक-दूसरे की मोर्चाबंदी की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।
चुनावी मैदान में प्रचार के रंग भाजपा व कांग्रेस के ही ज्यादा नजर आ रहे हैं। स्टार प्रचारकों के साथ ही धरातल पर संगठन की सक्रियता भी है। दोनों दल हर स्तर पर दमखम दिखा रहे हैं। भिन्न भूगोल वाली सीट पर कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो बहुत दुर्गम में है। इतने कम समय में दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचना मुश्किल भरा है लेकिन इंटरनेट मीडिया व संगठन के जरिये ही उपस्थिति बनाने पर जोर है।
मुकाबला हमेशा भाजपा-कांग्रेस के बीच ही रहा
आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही रहा है।शुरुआत में 25 वर्ष तक यह सीट गाेविंद बल्लभ पंत के परिवार के पास ही रही। दो बार उनके दामाद सीडी पांडे और तीन बार उनके पुत्र केसी पंत सांसद रहे। वैसे इस सीट पर 11 बार कांग्रेस ने बाजी मारी है।
चार बार भाजपा जीती है। एक बार भारतीय लोक दल और एक बार जनता दल के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। तीन बार उत्तर प्रदेश व एक बार उत्तराखंड के सीएम रहे एनडी तिवारी भी इस सीट से तीन बार जीते हैं। इस बार भाजपा, कांग्रेस, बसपा समेत 10 प्रत्याशी मैदान में हैं।
तराई, भाबर व पहाड़ को समेटे है सीट
नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट तीन हिस्सों में बंटा है। पहला तराई, इसमें ऊधम सिंह नगर जिला है। दूसरा भाबर, इसमें हल्द्वानी, लालकुआं व कालाढूंगी क्षेत्र है। तीसरा है पर्वतीय, इसमें नैनीताल, भीमताल, भवाली, रामगढ़ जैसा दुर्गम क्षेत्र भी है। विविधता भरे इस क्षेत्र में पर्वतीय मूल के लोगों के साथ ही पूर्वांचल, पश्चिम उत्तर प्रदेश, सिख समुदाय भी बहुतायत में रहते हैं।
मुस्लिमों की संख्या भी अच्छी-खासी है। लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण और 30 प्रतिशत ही नगरीय क्षेत्र है। हल्द्वानी व रुद्रपुर में मलिन बस्तियां भी हैं। वहीं जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो लगभग 27 प्रतिशत क्षत्रिय, 17 प्रतिशत ब्राह्मण, 16 प्रतिशत अल्पसंख्यक, 16.8 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 5.17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के हैं। बाकी अन्य जातियों के लोग हैं।
चुनावी घमासान में भाजपा-कांग्रेस
नैनीताल-ऊधम सिंह लोकसभा क्षेत्र से इस बार भी भाजपा के दिग्गज नेता अजय भट्ट दूसरी बार मैदान में हैं। वह केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री भी हैं। वह पूर्व में भी रानीखेत सीट से विधायक रहने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी रहती है।
क्षेत्र के मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाते हैं। इस बार भी वह मोदी मैजिक के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं। राष्ट्रीय योजनाओं के साथ ही वह जनता के बीच जमरानी बांध परियोजना, रोपवे, हाईवे, एम्स सेटेलाइट सेंटर जैसी योजनाओं का भी जिक्र कर रहे हैं।सांसद निधि के साथ ही सांसद आदर्श गांवों के बारे में भी बता रहे हैं।
नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर 14 विधानसभा क्षेत्र हैं। इसमें भाजपा के पास आठ सीटें हैं। तीन नगर निगम हैं। तीनों में भाजपा का दबदबा है। नैनीताल जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष भी भाजपा के ही हैं। इस सीट पर भाजपा के 11 ब्लाक प्रमुख है। बूथ स्तर पर सांगठनिक ढांचा मजबूत है।
नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट पर कांग्रेस की दलीय स्थिति भाजपा के मुकाबले कमतर ही है। 14 विधानसभा सीटों में से छह विधायक है। दो ब्लाक प्रमुख हैं। नगर पालिका व पंचायत में छह पालिकाध्यक्ष कांग्रेस के हैं। ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। धरातल पर सांगठनिक ढांचे को और अधिक सक्रियता की जरूरत है।