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काशीपुर-सितारगंज एनएच-74 के चौड़ीकरण परियोजना के तहत अधिग्रहित की गई सैकड़ों किसानों की जमीन का मुआवजा फर्जीवाड़े का शिकार हो गया है। इसमें 13.51 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि को तीन अलग-अलग फर्मों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। यह ट्रांजेक्शन राजस्थान, चंडीगढ़ और मुंबई स्थित बैंक शाखाओं में किया गया, जिसमें बैंक अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आई है।

### चेक डिजिट और सत्यापन प्रक्रिया की अनदेखी से हुआ करोड़ों का घोटाला

बैंक अधिकारियों ने चेक पर छपे महत्वपूर्ण सुरक्षा डिजिट का मिलान किए बिना ही इस बड़ी रकम को ट्रांसफर कर दिया। चेक के तीसरे भाग में छपे छह अंकों का मिलान आरबीआई द्वारा तय किए गए सुरक्षा मानकों के अंतर्गत आता है, जो कि प्रोसेसिंग में मदद करता है। लेकिन बैंक अधिकारियों ने इस प्रक्रिया की पूरी तरह से अनदेखी की। इतना ही नहीं, खातेदार के मोबाइल पर कोई सत्यापन कॉल नहीं की गई और न ही ट्रांसफर की गई राशि के बारे में कोई सूचना भेजी गई। इस प्रकार की लापरवाही न केवल बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि बैंकिंग सुरक्षा की कमजोरियों को भी उजागर करती है।

### फर्जी दस्तावेज़ और चेक: बैंक की सुरक्षा प्रणाली में कई कमजोरियां

बैंक को जो दस्तावेज़ और सूची भेजी गई, उसमें न तो कोई तारीख थी और न ही पत्रांक संख्या। सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर में भी गड़बड़ियां पाई गईं, जिन पर बैंक अधिकारी ध्यान नहीं दे सके। इस तरह की लापरवाही ने फर्जीवाड़े को अंजाम देने में मदद की। फर्जी चेक के साथ भेजे गए पत्र में भी असंगतियां थीं। यह पत्र मंगल फांट में लिखा गया था, जबकि एसएलएओ कार्यालय से भेजे गए पत्र क्रुर्तिदेव फांट में होते हैं। इस महत्वपूर्ण अंतर पर भी बैंक अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी।

### संभावित अंतरराज्यीय गिरोह की संलिप्तता:

बैंकिंग प्रणाली पर बड़ा खतराइस घटना के पीछे एक बड़े अंतरराज्यीय गिरोह की संलिप्तता की संभावना जताई जा रही है, जो विभिन्न राज्यों में फर्जी फर्मों के नाम पर बैंक खाते खोलते हैं। ये गिरोह फर्जीवाड़े से बड़ी रकम ट्रांसफर कराते हैं और फिर इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से उसे अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रक्रिया में शामिल कई फर्मों के खाते विभिन्न राज्यों में खोले गए थे। इस मामले में प्रिंटिंग प्रेस की भी भूमिका की जांच हो रही है, क्योंकि चेक बुक की छपाई सामान्य प्रेस में संभव नहीं होती। इसमें चेक बुक छापने वाली प्रेस के कर्मचारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।

### जांच में तेजी, संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज किया गया

जिला प्रशासन, पुलिस और बैंक अधिकारियों की संयुक्त टीम इस मामले की जांच में जुटी है। अब तक की जांच में पता चला है कि एक करोड़ रुपये चित्रकूट स्थित एसबीआई शाखा में ट्रांसफर किए गए हैं। इस खाते को फ्रीज कर दिया गया है।

### चेक डिजिट की गहराई से समझ:

कैसे होती है चेक की वैधता की पुष्टिचेक पर कुल 23 डिजिट होते हैं, जो कि चार हिस्सों में विभाजित होते हैं। इन डिजिट में चेक संख्या, एमआईसीआर कोड, आरबीआई के तहत खाता मेंटेन करने की जानकारी और ट्रांजेक्शन कोड शामिल होते हैं। यह सभी डिजिट चेक की वैधता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। लेकिन इस मामले में बैंक अधिकारियों ने इन सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं की अनदेखी की, जिससे इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।

काशीपुर-सितारगंज एनएच-74 मुआवजा घोटाले ने बैंकिंग प्रणाली की गंभीर खामियों और अधिकारियों की लापरवाही को उजागर किया है। इस मामले में अंतरराज्यीय गिरोह की संलिप्तता के साथ-साथ प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका की भी गहन जांच की जा रही है। इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने के बाद से बैंकिंग सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका उत्तर देना अब आवश्यक हो गया है।

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