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कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू भारत की ‘सिलिकॉन वैली’ है। वहां के लोकप्रिय ‘रामेश्वरम कैफे’ में बीते शुक्रवार को ऐसा विस्फोट हुआ, जिसकी नीयत और ताकत आतंकी हमले से कम नहीं थी। विस्फोट में 9 लोग घायल हुए। उनमें 45 साल की एक महिला पहचानी गई, जो सेमीकंडक्टर की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में लेखापाल के पद पर कार्यरत है। वह विस्फोट में झुलस गई है और फिलहाल जख्मों से लड़ रही है। शुरुआती जांच के संकेत हैं कि एक अनजान व्यक्ति ने विस्फोट से कुछ मिनट पहले ही उस लोकप्रिय कैफे में बैग रखा था। पुलिस सीसीटीवी फुटेज को खंगाल रही है, ताकि संदिग्ध की पहचान की जा सके। संभवतरू आईईडी विस्फोटक उपकरण उसी बैग में रखा गया था। खान-पान के ऐसे लोकप्रिय स्थलों पर भी सुरक्षा में सुराख देखे गए हैं। वहां पर्याप्त सुरक्षा-व्यवस्था नहीं होती। जबकि ऐसे स्थल ही आतंकी या किसी अन्य हमले के ‘आसान लक्ष्य’ होते हैं। जांच की कुल 8 टीमें काम कर रही हैं। पुलिस 2022 से उन आतंकी हमलों के साथ इस विस्फोट के संपर्क की संभावनाओं को भी खंगाल रही है, जहां ऐसे ही विस्फोटक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच का आश्वासन दिया है और अपेक्षा की है कि इस घटना का राजनीतिकरण न किया जाए। विपक्षी भाजपा ने इसे कानून-व्यवस्था की नाकामी करार दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान-समर्थक नारों से इस विस्फोट को जोड़ा है। सवाल है कि क्या यह माना जाए कि बेंगलुरू में भी पाकिस्तान के दहशतगर्द तत्त्व और खुफिया एजेंसी आईएसआई पहुंच गए हैं, जिन्होंने ऐसे विस्फोट को अंजाम दिया? वैसे माहौल को गरम और उग्र बनाने में सत्तारूढ़ कांग्रेस का भी योगदान कम नहीं रहा है।

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उपमुख्यमंत्री ने विस्फोट को 2022 के मंगलूरु विस्फोट से जोड़ दिया, जब राज्य में भाजपा सरकार थी। उपमुख्यमंत्री जैसा जिम्मेदार शख्स यह आरोप किस आधार पर लगा सकता है? उन्होंने इसके विपरीत ही बयान दिया था और राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया था। ऐसा दोगलापन ही आतंकी घटनाओं का राजनीतिकरण करता है। राज्य और केंद्र सरकार की अपनी-अपनी एजेंसियां हैं, जिनके दायरे परिभाषित हैं। जांच दलों को अपना काम करने दें। वे ही किसी निष्कर्ष की ओर संकेत कर सकते हैं। दरअसल ‘रामेश्वरम कैफे’ में यह विस्फोट ज्यादा भयावह इसलिए है, क्योंकि यह वहां स्थित है, जहां आईबीएम, एसएपी सरीखी आईटी कंपनियां और कई स्टार्टअप मौजूद हैं।

यह देश का प्रौद्योगिकी केंद्र है। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पेशेवरों के लिए यह कैफे एक लोकप्रिय ठिकाना है। खान-पान के पकवानों के लिए यह विख्यात है। जब दोपहर एक बजे के करीब विस्फोट हुआ, तो कई पेशेवर वहां लंच कर रहे थे। घायलों में वेल्डर, मैकेनिक, बिजली वाले, मिस्त्री आदि ‘ब्लू कॉलर’ प्रवासी कामगार भी शामिल थे। बेंगलुरू के रेस्टॉरेंट क्षेत्र को अब खुद महसूस करना पड़ेगा कि वे सावधान हो जाएं। अपने ग्राहकों पर निगरानी रखें। एक मजबूत सुरक्षा व्यवस्था तैयार करें। उन्हें अपने स्टाफ को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है, ताकि वे किसी भी संदिग्ध व्यवहार वाले व्यक्ति को पहचान सकें। आपात स्थिति के लिए ऐसे मानदंड भी तैयार किए जाएं, ताकि उनका स्टाफ ग्राहकों को बचा कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचा सके। अस्पताल भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। हालांकि शहर की होटल एसोसिएशन ने कहा है कि वह सुरक्षा-व्यवस्था को सुधारने के लिए एक योजना तैयार करेगी। होटल वाले अपनी एसोसिएशन के सदस्यों और पुलिस से जल्द ही बैठक कर संवाद करेंगे। जाहिर है कि किसी योजना की रूपरेखा पर भी विमर्श होगा। बेंगलुरू में हमने कई बार सांप्रदायिक दंगों की सूरत भी देखी है। तब सामने आता रहा है कि अचानक लाठियां और पत्थर लिए एक भीड़ सडक पर निकल आती है। बहरहाल जांच के निष्कर्षों की प्रतीक्षा है।

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