केदारनाथ धाम और पैदल मार्ग व पड़ावों पर फंसे तीर्थयात्रियों को हेली में रेस्क्यू करने में मौसम बाधा बन रहा है। एनडीआरएफ एसडीआरएफ और मंदिर समिति की टीमों ने 600 लोगों को केदारनाथ गधाम के दुरुह वैकल्पिक मार्गों से सुरिक्षत निकाला 400 अन्य को हेलीकाप्टरों से निकाला गया। अभी तक 9099 लोगों को निकाला जा चुका है लगभग 1000 तीर्थयात्री जगह-जगह अब भी फंसे हुए हैं।
केदारघाटी में आई आपदा के बाद से केदारनाथ धाम और पैदल मार्ग व पड़ावों पर फंसे तीर्थयात्रियों को हेली में रेस्क्यू करने में मौसम बाधा बन रहा है। यही वजह है कि चार दिन बाद एक भी सभी को नहीं निकाला जा सका।सेना ने भी संंभाला मोर्चाकेदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए शासन प्रशासन लगातार मुस्तैदी से कार्य कर रहा है। रेस्क्यू कार्यों में तेजी लाने के लिए अब सेना की भी मदद ली जा रही है।
जनपद में तैनात 6 ग्रेनेडियर यूनिट कर्नल हितेश वशिष्ठ के नेतृत्व में सेना रास्तों को पुनर्स्थापित करने और पुल बनाने के अलावा सर्च ऑपरेशंस में मदद करेगी।प्राथमिकता के आधार पर पहले सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच वाश आउट हुए मार्ग पर पैदल पुल बनाया जा रहा है। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, पुलिस अधीक्षक डॉ विशाखा अशोक भदाणे इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
सेना ने दो स्निफर डॉग यात्रा मार्ग के लिए रवाना कर दिए हैं। हेलीकॉप्टर के माध्यम से इन्हें लिनचोली उतारा जा चुका है। जहां से पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान शुरू किया जाएगा। बता दें कि कई लोग बारिश के डर से अपनी जान बचाने के लिए जंगलों की तरफ बढ़े हैं। वहीं कई लोगों के रास्ता भटकने की संभावना भी जताई जा रही है, उन्हें भी सर्च किया जाएगा।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर फंसे हुए यात्रियों को लगातार प्रयास किया जा रहा है। सीईओ बीकेटीसी योगेंद्र सिंह ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के चौथे दिन रविवार को केदारनाथ धाम में फंसे हुए यात्रियों 373 यात्रियों, स्थानीय लोगों एवं मजदूरों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ एवं अन्य सुरक्षा बलों की मदद से लिनचोली तक पहुंचाने के लिए रवाना कर दिया गया है।
लिनचोली से इन सभी को एयर लिफ्ट किया जाएगा। वहीं केदारनाथ हैलीपैड पर अभी 570 यात्री, स्थानीय लोग और मजदूर एयर लिफ्ट होने का इंतजार कर रहे हैं। केदारनाथ में सभी लोगों के लिए जिला प्रशासन, बीकेटीसी और तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा फूड पैकेट्स, पानी की बोतलें, फल उपलब्ध कराए जा रहे हैं।उधर रामबाड़ा चौमासी ट्रैक से एनडीआरएफ एव एसडीआरएफ द्वारा 110 यात्रियों को रेस्क्यू कर चौमासी पहुंचा दिया गया है। ट्रैक पर सुरक्षा बलों द्वारा यात्रियों को लगातार फूड पैकेट्स, पानी सहित चिकित्सा उपचार उपलब्ध करवाया गया। अब तक इस मार्ग से 534 से अधिक यात्रियों एव स्थानीय लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है
इससे पहले मौसम अनुकूल न होने के कारण शनिवार को वायुसेना के मालवाहक हेलीकाप्टर चिनूक और एमआइ 17 उड़ान नहीं भर पाए। छोटे हेलीकाप्टरों से भीमबली, चीरवासा में और लिनचोली में फंसे तीर्थयात्रियों में से 1000 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और मंदिर समिति की टीमों ने 600 लोगों को केदारनाथ गधाम के दुरुह वैकल्पिक मार्गों से सुरिक्षत निकाला, 400 अन्य को हेलीकाप्टरों से निकाला गया।
अभी तक 9,099 तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को निकाला जा चुका है, लगभग 1000 तीर्थयात्री जगह-जगह अब भी फंसे हुए हैं।रुद्रप्रयाग न की पुलिस अधीक्षक डा विशाखा न अशोक भदाणे के अनुसार रेस्क्यू किए गए तीर्थयात्रियों में काफी संख्या में वह भी शामिल हैं, जिनका अभी तक स्वजन से संपर्क नहीं हो पा रहा था। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार बचाव एवं गृहत कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।
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31 जुलाई की रात केदारघाटी में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के बाद केदारनाथ धाम का पैदल रास्ता कई जगह ध्वस्त हो जाने के कारण लगभग 10 हजार तीर्थयात्री धाम और विभिन्न पड़ावों पर फंस गए थे। घटना के वक्त भीमबली, लिनचोली, चीरबासा और गौरीकुंड क्षेत्र में मौजूद लोगों में कईयों ने मंदाकिनी नदी के उफान को देखते हुए जंगलों की तरफ भागकर जान बचाई।पूरी रात जंगल में काटने के बाद वह सुबह सुरक्षित पड़ावों पर लौटे। राज्य सरकार पिछले चार दिनों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग की 882 सदस्यीय टीम के माध्यम से फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने में जुटी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने तीन दिन पहले चिनूक, एमआई-17 समेत सात हेलीकाप्टर भी उपलब्ध करा दिए थे।
शनिवार को दोपहर तक धुंध की वजह से छोटे हेलीकाप्टर भी उड़ान नहीं भर पाए, इसके बाद भीमबली और लिनचोली में फंसे लोगों का रेस्क्यू शुरू हो पाया।केदारनाथ धाम से किसी को हेली रेस्क्यू नहीं किया जा सका। यहां लगभग 700 लोग फंसे हैं। दोपहर बाद चीरबासा स्थित हेलीपैड को भी उड़ान के लिए तैयार कर लिया गया। भूस्खलन के बाद इसमें बड़े पत्थर और मलबा आ गया था।