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कांग्रेस ने बद्रीनाथ की तर्ज पर अब केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि, पार्टी के सामने भारतीय जनता पार्टी के गढ़ को तोड़ने की चुनौती है, लेकिन उससे भी पहले उसे आंतरिक गुटबंदी पर नियंत्रण करना होगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी खींचतान और असहमति इसके लिए एक बड़ी बाधा बन रही है।प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति, जिसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बेहतर तालमेल के लिए गठित किया गया है, खुद आंतरिक कलह से जूझ रही है। देहरादून से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार, केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस ने अपनी तैयारियों की शुरुआत कर दी है। भाजपा के मजबूत किले को भेदने की रणनीति पर काम हो रहा है, लेकिन गुटीय राजनीति पार्टी के लिए बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है।हाल ही में प्रदेश कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा’ के दूसरे चरण में वरिष्ठ नेताओं की सीमित भागीदारी देखने को मिली। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व विधायक मनोज रावत ने इस यात्रा में शामिल होना जरूरी नहीं समझा और इसके बजाय उन्होंने गांवों में जनसंपर्क करने का निर्णय लिया।

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