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राज्य सूचना आयोग ने चार अपीलों में सूचना न देने पर लगाया जुर्माना, अपीलार्थियों को मिलेगा मुआवजा

राज्य सूचना आयोग ने जिज्ञासा विश्वविद्यालय (पूर्व में हिमगिरी जी विश्वविद्यालय) पर सूचना अधिकार अधिनियम-2005 का पालन न करने के कारण कुल 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसमें 35 हजार रुपये का आर्थिक दंड विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी पर और चार अपीलार्थियों को 5-5 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश शामिल है। यह निर्णय राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट द्वारा सुनवाई के बाद जारी किया गया।

अपीलों में सूचना उपलब्ध न कराना बना मामला

चार अलग-अलग अपीलकर्ताओं, जिनमें रोहित गोयल (देहरादून), डॉ. परवीन कुमार (दरभंगा, बिहार), बसंत कुमार (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश), और रजनीश तिवारी (समस्तीपुर, बिहार) शामिल हैं, ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया था कि उनके द्वारा मांगी गई सूचना न तो समय पर प्रदान की गई और न ही उनकी प्रथम अपीलों की सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त ने सभी अपीलकर्ताओं के सूचना संबंधी दस्तावेज तलब किए और उन्हें संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराईं।

निजी विश्वविद्यालयों में सूचना अधिकार अधिनियम का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश

राज्य सूचना आयोग ने आदेश में स्पष्ट किया कि निजी विश्वविद्यालयों में सूचना अधिकार अधिनियम-2005 का पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है। आयोग ने यह भी पाया कि निजी विश्वविद्यालयों में व्यवस्थागत खामियों के कारण सूचना अधिनियम का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है।

आदेश में मुख्य सचिव और उच्च शिक्षा सचिव को निर्देश दिया गया कि निजी विश्वविद्यालयों में प्रथम अपील की सुनवाई के लिए शासन स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके तहत प्रथम अपीलीय अधिकारियों की नियुक्ति भी शासन द्वारा की जाए।

विवि प्रशासन और कर्मचारियों को मिलेगा प्रशिक्षण

सूचना आयुक्त ने विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देश दिया है कि वे सूचना अधिकार अधिनियम का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करें और लोक सूचना अधिकारियों एवं अन्य संबंधित कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करें। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो भविष्य में सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

आयोग का सख्त रुख

आयोग ने निजी विश्वविद्यालयों को स्पष्ट संदेश दिया है कि सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह निर्णय अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक नजीर बन सकता है, जो सूचना उपलब्ध कराने में कोताही बरतते हैं।

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