उत्तराखंड में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, जिन्हें हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। उत्तराखंड में जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों और तस्वीरों पर दूध, दही, घी, शहद और फूलों से अभिषेक किया।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों जैसे बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में भी जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इन मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने के लिए भजन-कीर्तन और आरती की।
वहीं देहरादून के काठ-बांग्ला में युवाओं ने जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर रैली निकाली। इस रैली में बढ़-चढ़कर युवाओं ने हिस्सा लिया। रैली के दौरान युवाओं ने भजन-कीर्तन और आरती की। रैली के
वही आयोजक पिंटू रजत और अनिल यादव ने कहा कि यह रैली भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने और उनके आदर्शों को लोगों के बीच फैलाने के लिए निकाली गई है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन से हमें प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का पाठ पढ़ाया है। हमें उनके आदर्शों पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करना चाहिए।
रैली के दौरान युवाओं ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण हमारे आराध्य देव हैं। उनका जन्म हमारे जीवन में प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का संदेश लेकर आया है। हमें उनके आदर्शों पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करना चाहिए।
रैली के समापन पर आयोजकों ने सभी युवाओं को धन्यवाद दिया और कहा कि हम सभी मिलकर भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों को लोगों के बीच फैलाने का काम करेंगे।
इसके अलावा, उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भी जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। कई जगहों पर भजन-कीर्तन और कथा-कथन के कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई जगहों पर भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण की झांकियां भी निकाली।
जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म हमारे जीवन में प्रेम, भाईचारे और सौहार्द का संदेश लेकर आया है। हमें उनके आदर्शों पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करना चाहिए।
जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तराखंड में भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण से सुख, समृद्धि और शांति की कामना की।