देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 2025 अपने पांचवें दिन भी हंगामे से भरा रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा दिए गए विवादित बयान को लेकर विपक्ष ने कड़ा रुख अपनाया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जबकि सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस पर चुप्पी साधे रखी।
विधायकों का विरोध, पर्चे फाड़े गए
निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने प्रेमचंद अग्रवाल से माफी मांगने की मांग की। बदरीनाथ विधायक लखपत बुटोला ने पहाड़ के अधिकारों का मुद्दा उठाते हुए सदन में पर्चा फाड़ दिया, जिससे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी नाराज हो गईं। उन्होंने लखपत बुटोला को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया, लेकिन विधायक अपने स्थान से हटकर अलग बैठ गए।
शनिवार को भी चलेगा सदन, वार्षिक बजट होगा पारित
आमतौर पर विधानसभा की कार्यवाही शनिवार को नहीं चलती, लेकिन विपक्ष की मांग पर कार्य मंत्रणा समिति ने निर्णय लिया कि सत्र शनिवार को भी जारी रहेगा। इस दौरान विधायकों को अधिक प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा, सरकार विभिन्न विभागों के बजट को सदन में प्रस्तुत करेगी और उत्तराखंड का वार्षिक बजट 2025-26 भी पारित किया जाएगा।
प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर सरकार की सफाई
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़-मैदान को लेकर दिए गए बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। राज्य आंदोलनकारी और आम जनता इस बयान से खासे नाराज दिखे। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बयान, सरकार ने किया डैमेज कंट्रोल
प्रेमचंद अग्रवाल का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिससे विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेताओं ने इस बयान की निंदा की।
स्थिति बिगड़ती देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हस्तक्षेप किया और प्रेमचंद अग्रवाल को सदन में सफाई देने के निर्देश दिए। अग्रवाल ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया, जबकि मुख्यमंत्री ने सदन में यह स्पष्ट किया कि इस तरह के मुद्दे नहीं उठने चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड की एकता और विकास पर बल दिया।
जनता और विपक्ष का आक्रोश जारी
भले ही सरकार ने इस विवाद को शांत करने की कोशिश की हो, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग अभी भी आक्रामक हैं। विपक्ष ने भी इसे एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में उठाने की रणनीति बनाई है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद कितना गहराता है और सरकार इसे कैसे संभालती है।
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