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उत्तराखंड के नैनबाग क्षेत्र के चिलामू गांव निवासी सुभाष राणा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान देश के खेल जगत में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कोचों को प्रदान किया जाता है। सुभाष राणा ने अपने समर्पण और मेहनत से न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुभाष राणा की उपलब्धियां

सुभाष राणा ने पैरा शूटिंग में देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके मार्गदर्शन में भारतीय पैरा शूटिंग टीम ने चार स्वर्ण और दो रजत पदक जीते हैं। उन्होंने 1994 में इटली और 1998 में स्पेन में आयोजित विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में भी भाग लिया। इसके अलावा, टोक्यो पैरालंपिक 2020 में उनकी कोचिंग के तहत भारतीय टीम ने पांच पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।

प्रदेशभर में खुशी और गर्व की लहर

सुभाष राणा को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर पूरे उत्तराखंड में गर्व और खुशी का माहौल है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और खेल मंत्री रेखा आर्या सहित प्रदेश के कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा, “देवभूमि के इस सपूत को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलना प्रदेश के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। सुभाष राणा ने अपने उत्कृष्ट कार्य से उत्तराखंड और देश का मान बढ़ाया है।”

खेल मंत्री रेखा आर्या का बयान

खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा, “सुभाष राणा ने पैरा खिलाड़ियों को तराशने में अद्भुत कार्य किया है। खासकर 2020 के टोक्यो पैरालंपिक में उनके मार्गदर्शन में खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच पदक देश के नाम किए। यह उपलब्धि हर उत्तराखंडी के लिए गर्व की बात है।”

सुभाष राणा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उत्तराखंड के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। उनका समर्पण और मेहनत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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