उत्तराखंड का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शुरू होने के बाद कंपनी ने बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। यह प्लांट काशीपुर और रुद्रपुर क्षेत्र के 100 टन कचरे का प्रतिदिन निस्तारण कर 2.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस प्लांट के माध्यम से राज्य के एक तिहाई पॉलिथीन कचरे का प्रबंधन किया जा सकता है। यह प्लांट पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल को भी बल मिला है।
प्लांट की स्थापना के साथ ही कंपनी ने औद्योगिक कचरे के निस्तारण और बिजली उत्पादन के नए प्रयोग में सफलता हासिल की है। काशीपुर क्षेत्र ही नहीं, बल्कि तराई के अन्य उद्योगों और नगर निकायों के कचरे का भी इस प्लांट में निस्तारण किया जा सकता है। इस साल काशीपुर और रुद्रपुर नगर निगमों से 16 हजार टन कचरे का निस्तारण कर प्लांट ने बिजली का उत्पादन किया है, जो प्रदेश के बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।बहल पेपर मिल के एमडी नवीन झांजी ने बताया कि पहले चरण में काशीपुर और पंतनगर के औद्योगिक क्षेत्रों को इस प्लांट से जोड़ा गया है। इन क्षेत्रों से निकलने वाले पॉलिथीन और अन्य वेस्ट प्रोडक्ट को प्लांट में लाया जा रहा है। काशीपुर नगर निगम भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ चुका है।
राज्य के निकायों से प्रतिदिन लगभग 900 टन कचरा निकलता है, जिसमें से 50% ऑर्गेनिक वेस्ट, 11% बायोमेडिकल वेस्ट, और 21% इनर्ट कूड़ा होता है। इनमें से काफी कचरा अब तक उठाया ही नहीं जाता था, जो सड़कों, नालों और अन्य जगहों पर जमा हो जाता था। अब इसी कचरे को वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में प्रसंस्कृत कर ग्रीन एनर्जी में परिवर्तित किया जा रहा है।इस प्लांट के संचालन से रुद्रपुर और काशीपुर के कचरे के पहाड़ों से भी मुक्ति मिल गई है। नगर आयुक्त विवेक राय के अनुसार, इस साल मई और जून के महीनों में 50 हजार मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया गया, जिसमें से 8 हजार मीट्रिक टन आरडीएफ कचरा बहल पेपर मिल को दिया गया। पहले इस कचरे को मुजफ्फरनगर भेजा जाता था, लेकिन अब इसे स्थानीय स्तर पर ही निस्तारित किया जा रहा है।बहल पेपर मिल के डायरेक्टर राज भंडारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की सफलता मुख्यमंत्री के सफल निर्देशन और मार्गदर्शन के कारण ही संभव हो सकी है।
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एमडी नवीन झांजी ने कहा कि इस प्लांट के माध्यम से रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल की अवधारणा को पूरा करने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री के सुझाव के बाद ही इस बड़े प्लांट की स्थापना काशीपुर में संभव हो सकी, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी का नया स्रोत भी स्थापित हुआ है। भविष्य में यह प्लांट न केवल काशीपुर, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मिसाल बनेगा।