Demo

उत्तराखंड में नदियों में डूबने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) मुख्यालय जौलीग्रांट में 53 करोड़ रुपये की लागत से देश का सबसे गहरा डाइविंग पूल बनाया जाएगा। यह डाइविंग पूल 51 फीट गहरा होगा और यहां न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर से सुरक्षा एजेंसियों के जवान आकर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

प्राकृतिक आपदाओं और डूबने की घटनाओं से निपटने के लिए कदम

उत्तराखंड में पर्वतीय भूभाग और कई नदियों के बहने के कारण प्राकृतिक आपदाओं और डूबने की घटनाओं की संभावना अधिक रहती है। वर्ष 2024 के पहले छह महीनों में ही राज्य में डूबने की 372 घटनाएं सामने आईं, जिनमें एसडीआरएफ ने 308 लोगों को सुरक्षित बचाया, लेकिन 64 लोगों को बचाया नहीं जा सका। ऐसी आपदाओं से निपटने और जवानों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए इस पूल का निर्माण किया जा रहा है।

विश्व बैंक से मिली 53 करोड़ रुपये की सहायता

इस परियोजना के लिए उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिलने के बाद विश्व बैंक ने 53 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की। डाइविंग पूल का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा। वर्तमान में इतनी गहराई का कोई डाइविंग पूल देश में मौजूद नहीं है, जिसके कारण जवानों को प्रशिक्षण के लिए गोवा और मुंबई भेजना पड़ता है।

इंडियन रेस्क्यू एकेडमी के विशेषज्ञ देंगे प्रशिक्षण

एसडीआरएफ ने आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए इंडियन रेस्क्यू एकेडमी पुणे के साथ समझौता किया है। एकेडमी के प्रशिक्षक जवानों को डाइविंग पूल में प्रशिक्षण देंगे। इसके बाद एसडीआरएफ के प्रशिक्षित जवान अन्य सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों को भी प्रशिक्षण देंगे।

प्रशिक्षण केंद्र में उपलब्ध होंगे विशेष कौशल

इस अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र में जवानों को निम्नलिखित कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा:

  • भवन ढहने पर खोज और रेस्क्यू अभियान
  • सतही जल खोज और बचाव
  • ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बचाव कार्य
  • रोपवे रेस्क्यू
  • स्वान रेस्क्यू और अन्य उपकरणों का उपयोग
  • अपशिष्ट प्रबंधन और साइट विकास कार्य

इस डाइविंग पूल के निर्माण से उत्तराखंड न केवल आपदा प्रबंधन में अग्रणी बनेगा, बल्कि देशभर के सुरक्षा बलों के लिए एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

Share.
Leave A Reply