उत्तराखंड से अवैध रूप से कारतूसों की तस्करी का मामला सामने आने के बाद अब एसटीएफ उत्तराखंड और देहरादून पुलिस इस मामले की गहराई से जांच करने जा रही है। मेरठ एसटीएफ द्वारा पकड़े गए कारतूसों के बड़े जखीरे की जांच अब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त टीम करेगी। आईजी गढ़वाल ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।
कैसे खुला कारतूस तस्करी का मामला?
4 फरवरी 2025 को मेरठ एसटीएफ ने दिल्ली हाईवे पर ग्रेटर पल्लवपुरम के पास एक कार से भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए। यह खेप अंतरराज्यीय तस्कर राशिद अली के कब्जे में थी। पूछताछ के दौरान राशिद अली ने खुलासा किया कि यह कारतूस देहरादून के एक प्रतिष्ठित शूटिंग स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट से भेजे गए थे। आरोप है कि इस इंस्टीट्यूट का संचालन एक पद्मश्री से सम्मानित निशानेबाज के भाई और द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित व्यक्ति द्वारा किया जा रहा था।
मेरठ एसटीएफ ने इस खुलासे के बाद अकादमी संचालक और उसके साथी को भी आरोपी बना दिया है। हालांकि, अकादमी के संचालकों ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है।
गाड़ी से बरामद हुआ था मेड इन इटली कारतूसों का जखीरा
मेरठ एसटीएफ ने जब कार की तलाशी ली, तो उसमें से 12 बोर के मेड इन इटली 1,975 कारतूस बरामद हुए। यह बेहद संवेदनशील मामला है क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में कारतूसों की तस्करी सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
पहले भी हो चुकी है कारतूसों की तस्करी
यह पहला मामला नहीं है जब लाइसेंसी असलहों के कारतूसों की तस्करी का खुलासा हुआ हो। 2022 में भी दिल्ली में एनआईए और स्पेशल ब्रांच ने हजारों कारतूस बरामद किए थे, जो लाइसेंसी असलहा धारकों के नाम पर खरीदे गए थे लेकिन बाद में आपराधिक गतिविधियों में उपयोग किए जा रहे थे। इस मामले में भी देहरादून के एक हथियार विक्रेता का नाम सामने आया था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था और उसका गन हाउस बंद करा दिया गया था।
कारतूसों का इस्तेमाल कहां हो रहा है?
उत्तराखंड में वर्तमान में 56,000 से अधिक लाइसेंसी हथियार धारक हैं। इन्हें कानूनी रूप से केवल लाइसेंस पर ही कारतूस खरीदने की अनुमति है। हालांकि, एक बड़ा सवाल यह उठता है कि असलहा धारकों को यह जानकारी देने की बाध्यता नहीं होती कि उनके द्वारा खरीदे गए कारतूसों का उपयोग कहां किया गया।
एक शस्त्र लाइसेंस पर 20 से 200 कारतूस तक जारी किए जाते हैं, लेकिन पुलिस की सख्ती के कारण हर्ष फायरिंग जैसी गतिविधियों में कमी आई है। ऐसे में संदेह गहरा जाता है कि जब गोलियां कम चल रही हैं, तो फिर ये कारतूस आखिर जा कहां रहे हैं?
शस्त्र लाइसेंस पर कितने कारतूस खरीद सकते हैं?
गन हाउस संचालकों के अनुसार, पहले एक शस्त्र लाइसेंस पर 10 से 25 कारतूस जारी किए जाते थे, लेकिन 2020 में हुए कानून संशोधन के बाद यह संख्या बढ़ाकर न्यूनतम 20 और अधिकतम 200 कर दी गई। हालांकि, पुलिस द्वारा कड़ी निगरानी के कारण कारतूसों का स्टॉक जमा हो रहा है और उनकी अवैध बिक्री पर सवाल उठने लगे हैं।
आईजी गढ़वाल ने दिए सख्त जांच के आदेश
मेरठ एसटीएफ की कार्रवाई के बाद उत्तराखंड पुलिस भी अलर्ट मोड में आ गई है। आईजी गढ़वाल ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को निर्देश दिए हैं कि वे शस्त्र विक्रेताओं और लाइसेंसी हथियार धारकों पर कड़ी निगरानी रखें।
साथ ही, समय-समय पर एसडीएम के साथ मिलकर गन हाउस का ऑडिट करने के आदेश दिए गए हैं। यदि किसी जिले में गैरकानूनी तरीके से कारतूसों की सप्लाई का मामला सामने आता है, तो संबंधित शस्त्र लाइसेंस को निरस्त कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अकादमी संचालक ने आरोपों को किया खारिज
इंस्टीट्यूट ऑफ शूटिंग स्पोर्ट्स के संचालक ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि वे मेरठ एसटीएफ और उत्तराखंड पुलिस की जांच में पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा,
“यह आरोप बेबुनियाद हैं। हम किसी भी समय पुलिस जांच के लिए उपलब्ध हैं और हर प्रकार की पूछताछ के लिए तैयार हैं।”
निष्कर्ष
कारतूसों की तस्करी का यह मामला उत्तराखंड और देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यदि लाइसेंसी असलहों से जुड़े कारतूसों का अवैध व्यापार हो रहा है, तो यह संगठित अपराध और आतंकी गतिविधियों के लिए भी खतरा बन सकता है। ऐसे में पुलिस और प्रशासन का यह कर्तव्य बनता है कि इस मामले की गहन जांच की जाए और दोषियों को कठोर सजा दी जाए
यह भी पढें- उत्तराखंड विधानसभा में भू कानून को लेकर हंगामा, पूर्व विधायक भीमलाल आर्या बैरिकेडिंग तोड़ पहुंचे मुख्य गेट