उत्तराखण्ड के खनन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों (अप्रैल से जुलाई) में 333.17 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 की इसी अवधि की तुलना में 133.31 करोड़ रुपये अधिक है। यह वृद्धि लगभग 67 प्रतिशत की दर से है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान इन्हीं चार महीनों में 161.64 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हुआ था।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए लगातार नए निर्णय और योजनाओं पर काम कर रही है। इस कारण, वर्ष 2023-24 में खनन विभाग ने 875 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 645.42 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 173.17 करोड़ रुपये अधिक है।वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी खनन विभाग ने अप्रैल से जुलाई के बीच 333.17 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष 2023-24 की समान अवधि के मुकाबले 133.31 करोड़ रुपये अधिक है। यह वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में 67 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार ने भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय उत्तराखण्ड को 875 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य दिया था, जिसके सापेक्ष 472.25 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया।वर्ष 2023-24 में, राज्य सरकार ने निदेशालय को 875 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया था, जिसमें से 645.42 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है। 2022-23 के पहले चार महीनों में 161.64 करोड़ रुपये, 2023-24 में 199.86 करोड़ रुपये, और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में 333.17 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है।राज्य सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, निदेशालय ने राजस्व वृद्धि हासिल की है। निदेशालय के अनुसार, इस रिकॉर्ड राजस्व वृद्धि का श्रेय सरकार द्वारा उपखनिज परिहार नियमावली में सरलीकरण, ई-निविदा, सह-ई नीलामी के माध्यम से नए खनिज लॉट का आवंटन, अवैध खनन की रोकथाम, और ई-रवन्ना पोर्टल की निगरानी और उन्नयन जैसे सुधारात्मक कदमों को दिया जा रहा है। इसके अलावा, देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर और नैनीताल जिलों में निविदा प्रक्रिया के माध्यम से पट्टाधन राशि की वसूली की जा रही है।खनन कार्य को पारदर्शी और सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार ने 45 माइन चेक गेट्स स्थापित करने की अनुमति दी है, जो कि आधुनिक माइनिंग डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और निगरानी प्रणाली (MDTSS) का हिस्सा है। इसके साथ ही, रवन्ना प्रपत्रों को डिजिटल रूप में रखने की प्रक्रिया जारी है।
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उपखनिज की प्रचुर आपूर्ति के कारण, स्टोन क्रेशर्स और स्क्रीनिंग प्लांट्स में कच्चे माल की कीमतें भी कम हो गई हैं। उपखनिज ग्रिट, डस्ट, सैंड, रेत, बजरी आदि वर्तमान में 70 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची जा रही हैं, जबकि पिछले वर्ष यह दर 140 रुपये प्रति क्विंटल थी। इससे आम जनता और सरकारी संस्थानों को सस्ती दरों पर निर्माण सामग्री मिल रही है।