चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के करछुना गांव के निवासी और 17वीं गढ़वाल राइफल्स में तैनात हवलदार दीपेंद्र कंडारी जम्मू-कश्मीर में सीमा पर गश्त के दौरान एक दुर्घटना में शहीद हो गए। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर देहरादून लाया गया और मिलिट्री अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया। रविवार को उन्हें सैन्य सम्मान के साथ नयागांव श्मशान घाट पर अंतिम विदाई दी जाएगी।सेना के अधिकारियों के मुताबिक, हवलदार दीपेंद्र गश्त के बाद अपनी पोस्ट पर लौट रहे थे, जब अचानक उनका पैर फिसल गया और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। शहीद दीपेंद्र के परिवार में पत्नी रीना कंडारी, बेटी अनुष्का, बेटा अभिनव, और बुजुर्ग माता-पिता हैं, जो वर्तमान में देहरादून के शिमला बाईपास क्षेत्र में निवास करते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीपेंद्र के बलिदान पर शोक व्यक्त किया और कहा, “मां भारती की सेवा करते हुए जम्मू-कश्मीर के तंगधार क्षेत्र में हवलदार दीपेंद्र कंडारी का निधन अत्यंत दुखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को शांति और परिवार को इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।”शहीद के परिवार में इस खबर से कोहराम मच गया है। रिश्तेदार, स्थानीय लोग और गौरव सेनानी संगठन के सदस्य परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं। दीपेंद्र कंडारी का परिवार सेना के प्रति गहरे समर्पण के लिए जाना जाता है।
उनके पिता सुरेंद्र कंडारी भी एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जबकि उनके दादा, परदादा, चाचा, ताऊ और भाई भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उनके दादा को 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
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हवलदार दीपेंद्र के बड़े भाई, पदमेंद्र कंडारी ने बताया कि दीपेंद्र 23 वर्षों से भारतीय सेना की सेवा कर रहे थे। उनके बलिदान से पूरा परिवार गर्वित है, लेकिन उनके असमय निधन से गहरा आघात भी पहुंचा है।