पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बड़ा कदम
उत्तराखंड सरकार ने उत्तरकाशी जिले में पर्यटन को नई ऊंचाई देने के लिए सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक को विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इस परियोजना के लिए 74.20 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 40 लाख रुपये पहले ही जारी कर दिए गए हैं। इस पहल से न केवल क्षेत्र की सुंदरता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
पर्यटन सुविधाओं में होगा सुधार
सरनौल से सरूताल तक 22 किमी लंबे ट्रैकिंग मार्ग पर मरम्मत कार्य, रेन शेल्टर और कैंपिंग शेड का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना को 31 मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य है। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने संबंधित विभाग को निर्देश जारी किए हैं। यमुनोत्री क्षेत्र के विकासखंड नौगांव को मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक अपने नैसर्गिक सौंदर्य और आकर्षक बुग्यालों के लिए प्रसिद्ध है। यहां ब्रह्मकमल सहित कई दुर्लभ पुष्प खिलते हैं, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। सुतुड़ी और सरूताल के आसपास के बर्फीले पहाड़ और हरे-भरे बुग्याल इसे एक अनोखा ट्रैकिंग अनुभव बनाते हैं।
‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ का दर्जा
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल को सितंबर से नवंबर 2024 तक ‘ट्रैक ऑफ द ईयर’ घोषित किया गया था। इस ट्रैक को उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान दिया गया है, और सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है।
रोजगार के नए अवसर
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक के विकास से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अनेक अवसर खुलेंगे। होमस्टे, होटल, ढाबा, घोड़े-खच्चर सेवा, वाहन स्वामियों, और स्थानीय उत्पादों जैसे दूध, घी, और ऊन के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पहल पर यह परियोजना संभव हो सकी है। वरिष्ठ भाजपा नेता मनवीर चौहान ने इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया। यह कदम उत्तराखंड के पर्यटन को नई दिशा देने और स्थानीय समुदाय को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
निष्कर्ष
सरनौल-सुतुड़ी-सरूताल ट्रैक का विकास उत्तराखंड के सीमांत जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। यह परियोजना क्षेत्र की नैसर्गिक सुंदरता को संरक्षित करते हुए इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करने में मददगार होगी।