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उत्तराखंड में आपात स्थिति और सड़क दुर्घटनाओं के घायलों को त्वरित और प्रभावी इलाज देने के लिए सरकार ने ट्रॉमा नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एसएचएसआरसी) ने मंगलवार को एक बैठक में इस परियोजना पर व्यापक चर्चा की। इस योजना के तहत सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की जीपीएस मैपिंग की जाएगी और एक डिजिटल एप बनाया जाएगा, जो तुरंत मदद पहुंचाने में सहायक होगा।

तेजी से इलाज के लिए एप और मैपिंग पर जोर

अपर सचिव एवं एसएचएसआरसी की कार्यकारी निदेशक स्वाति भदौरिया ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अस्पतालों की मैपिंग जल्द पूरी की जाए और एप के विकास का काम तेज किया जाए। उन्होंने बताया कि इस एप की मदद से घटना स्थल के पास मौजूद अस्पताल को तुरंत अलर्ट मिल सकेगा, जिससे डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पहले से तैयार रहेंगे।

108 एंबुलेंस और पैरामेडिकल स्टाफ को जोड़ा जाएगा

ट्रॉमा नेटवर्क के तहत 108 एंबुलेंस सेवा को अस्पतालों के जीपीएस मैप उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ को विशेष रूप से ट्रॉमा केयर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कदम आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को तुरंत और सटीक इलाज प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

प्रमुख संस्थानों के साथ समन्वय

बैठक में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश और हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई। एचएनबी चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मदन लाल ब्रह्म भट्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं, एम्स ट्रॉमा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मधुर उनियाल ने नेटवर्क की भावी रणनीति को साझा किया।

उद्देश्य: घायलों को जल्द और सटीक इलाज

कार्यकारी निदेशक स्वाति भदौरिया ने कहा कि इस ट्रॉमा नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य घायलों को कम से कम समय में उच्च गुणवत्ता वाला इलाज प्रदान करना है। इस पहल से न केवल आपात स्थितियों में मरीजों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।

बैठक में स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. तृप्ति बहुगुणा, निदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, सहायक निदेशक डॉ. कुलदीप मारतोलिया, डॉ. हितेंद्र सिंह और डॉ. सुजाता सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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