तेज गति वाले वाहनों पर सख्ती बढ़ाने की पहल
देहरादून में बढ़ते सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए यातायात निदेशालय ने बड़ा कदम उठाया है। अब स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम (एसवीडीएस) कैमरों में एक विशेष सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जा रहा है, जिससे तेज गति से गुजरने वाले वाहनों की जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस चौकी, थाना और कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी। इसके बाद वाहन चालक के मोबाइल पर तुरंत चालान भेजा जाएगा, जिससे यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्ती की जा सकेगी।
सख्त कार्रवाई के लिए नई तकनीक
यातायात पुलिस को अब तेज रफ्तार में वाहन चलाने वालों को पकड़ने में अधिक सहूलियत मिलेगी। पुलिस तत्काल प्रभाव से वाहन चालक पर जुर्माना लगा सकेगी या जरूरत पड़ने पर वाहन को सीज भी किया जा सकेगा। इस नई तकनीक को लागू करने के लिए यातायात निदेशालय ने सॉफ्टवेयर एजेंसियों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
बढ़ते हादसों के आंकड़े चिंताजनक
देहरादून, विकासनगर और ऋषिकेश में 11 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां सड़क दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। वर्ष 2023 में जिले के 21 थाना क्षेत्रों में कुल 481 सड़क हादसे हुए, जिनमें 201 लोगों की जान चली गई और 397 लोग घायल हुए। वर्ष 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 511 तक पहुंच गया, जिसमें 209 लोगों की मृत्यु हुई और 431 लोग घायल हुए।
महत्वपूर्ण स्थानों पर लगे हैं एसवीडीएस कैमरे
यातायात निदेशालय ने देहरादून में मोहकमपुर, डीआईटी और प्रेमनगर सहित तीन प्रमुख स्थानों पर चार स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम सेंसरयुक्त कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों में स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) तकनीक का उपयोग किया गया है, जो प्रत्येक वाहन की नंबर प्लेट को पहचानकर सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) को भेजती है। साथ ही, कैमरों में लगे सेंसर वाहन की गति का भी सटीक पता लगाते हैं।
पांच नए एसवीडीएस कैमरे जल्द होंगे स्थापित
यातायात पुलिस जल्द ही चार नए स्थानों पर पांच और एसवीडीएस कैमरे लगाने की योजना बना रही है। ये कैमरे लालतप्पड़, सहस्त्रधारा रोड ऊषा कॉलोनी, मसूरी डायवर्जन और आईएसबीटी क्षेत्र में लगाए जाएंगे। इन कैमरों के माध्यम से सड़क पर तेज गति से गुजरने वाले वाहनों का चालान तुरंत जारी कर दिया जाएगा।
अत्यधिक दुर्घटनाग्रस्त सड़कें
यातायात पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, छिद्दरवाला-रायवाला मार्ग सबसे अधिक खतरनाक है। पिछले तीन वर्षों में यहां 28 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 15 लोगों की जान चली गई। इसके अलावा, कुआंवाला वन बीट चौकी क्षेत्र में 11 हादसों में 12 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि औद्योगिक क्षेत्र सेलाकुई में 24 हादसे दर्ज किए गए, जिनमें 12 लोगों की जान चली गई।
उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद तेज हुई प्रक्रिया
यातायात निदेशक अरुण मोहन जोशी ने उच्च न्यायालय को ओवरस्पीड पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु की तर्ज पर एक एआई-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। इसके लिए बेंगलुरु की अस्त्रम कंपनी से संपर्क किया गया है। यह सॉफ्टवेयर यातायात के दबाव वाले क्षेत्रों की निगरानी में मदद करेगा।
एआई आधारित एसआई सिस्टम इसी वर्ष होगा लागू
पहले इस एआई-आधारित स्मार्ट इंटेलिजेंस (एसआई) सिस्टम को 2026 में लागू किया जाना था, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इसे इसी वर्ष शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम में एक नया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जाएगा, जिससे पुलिस को ओवरस्पीड वाहनों की तुरंत सूचना मिल सकेगी।
निष्कर्ष
स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम और एआई-आधारित यातायात निगरानी प्रणाली की मदद से देहरादून में सड़क हादसों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इन तकनीकों के प्रभावी उपयोग से यातायात नियमों का पालन बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकेगा और दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी।
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