Uttarakhand Government School पहाड़ों में शिक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करने के दावे धरातल पर खोखले साबित होते जा रहे हैं। ताड़ीखेत ब्लाक के वलनी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय जर्जर हालत में जा चुका है पहुंच।
गिरने को तैयार छत को महज दो बल्लियों के सहारा टिकाया गया। बारिश होने पर विद्यालय की विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत 12 नौनिहालों को पास ही एक ग्रामीण के घर पर पढ़ाया जाता है।ताड़ीखेत ब्लाक के वलनी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय जर्जर हालत में पहुंच चुका है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी सुध नहीं ले रहे। गिरने को तैयार छत को महज दो बल्लियों के सहारा टिकाया गया है।ऐसे में यहां अध्ययनरत बच्चों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है।
दो साल से विद्यालय का यही हाल है। विभाग की ओर से इस कदर अनदेखी पर प्रधान समेत ग्रामीणों ने रोष जताते हुए जल्द ही भवन की दशा नहीं सुधारने पर आंदोलन की चेतावनी दे डाली है।जर्जरहाल भवनों में खतरे में नौनिहालपहाड़ों में शिक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करने के दावे धरातल पर खोखले साबित होते जा रहे हैं। कुछ विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा है तो कहीं नौनिहाल जर्जरहाल भवनों में खतरे के बीच अपना भविष्य संवारने की कोशिश में लगे हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय वलनी का खस्ताहाल भवन भी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है।आलम यह है कि इस विद्यालय की छत कभी भी भरभरा कर गिर सकती है। छत को गिरने से रोकने के लिए दो बल्लियों का सहारा लिया गया है। मजबूरी में विद्यालय के बरामदे में कक्षाएं संचालित की जा रही है।
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बारिश होने पर विद्यालय की विभिन्न कक्षाओं में अध्ययनरत 12 नौनिहालों को पास ही एक ग्रामीण के घर पर पढ़ाया जाता है।ग्राम प्रधान महेंद्र रावत के अनुसार कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को समस्या बता नौनिहालों के सिर पर मंडरा रहे खतरे की जानकारी दी गई मगर सुध नहीं ली जा रही है। अधिकारियों को कदाचित किसी बड़े हादसे का इंतजार है। स्थानीय पूरन सिंह, नंदन सिंह, देवेंद्र सिंह, रविन्द्र सिंह, मदन सिंह, मोहन सिंह, चंदन सिंह, आंनद सिंह, बालम सिंह आदि ने विद्यालय भवन के पुनर्निर्माण की मांग की है। जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाने पर आंदोलन चलाने की चेतावनी दी है।