दुनिया के आठवें अजूबे के रूप में विख्यात ओम पर्वत पहली बार बर्फविहीन हो गया है, जिससे पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों में गहरी चिंता फैल गई है। ग्लोबल वार्मिंग, भारी वाहनों की आवाजाही और सड़क निर्माण को इसके पीछे का मुख्य कारण माना जा रहा है। यह घटना एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संकट का संकेत देती है, जो हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को उजागर करती है।धारचूला क्षेत्र में स्थित ओम पर्वत, अपने विशेष ‘ओम’ आकार के बर्फीले पैटर्न के कारण धार्मिक और पर्यटक आकर्षण का केंद्र रहा है। हालांकि, पहली बार इस पर्वत पर से बर्फ का पूरी तरह से गायब हो जाना एक गंभीर समस्या बन गई है।
यह घटना न केवल पर्यावरणीय असंतुलन का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, ओम पर्वत पर बर्फ का गायब होना इस क्षेत्र में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप का परिणाम है। सड़क निर्माण, डामरीकरण, और भारी मशीनरी का उपयोग इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर भारी दबाव डाल रहा है।
यह हिमालयी क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है, और इस तरह के बदलाव पर्यावरणीय आपदा का कारण बन सकते हैं।हालांकि, प्रशासन और संबंधित विभागों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन ओम पर्वत तक पहुंचे लोग बर्फ के ओम के गायब होने से निराश और चिंतित हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि अगर हम जल्द ही इस समस्या पर ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाले समय में हमें और भी गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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