हल्द्वानी में सिंधी चौराहे के पास स्थित स्टैंडर्ड स्वीट्स हाउस के गोदाम में गैस सिलिंडर गिरने से एक दर्दनाक हादसा हो गया। किच्छा निवासी 42 वर्षीय लालता प्रसाद की मौके पर ही मौत हो गई। वे दुकान में लगे एयर कंडीशनर की मरम्मत के लिए बृहस्पतिवार सुबह पहुंचे थे। लालता अपने बड़े भाई के परिवार सहित दो घरों का खर्चा उठाते थे, लेकिन इस हादसे ने दीपावली से पहले ही इन दोनों परिवारों की उम्मीदें छीन लीं।
दुकान के गोदाम में चेन टूटने से हुआ हादसा
स्टैंडर्ड स्वीट्स हाउस के ऊपर बने गोदाम में गैस सिलिंडर व अन्य सामान पहुंचाने के लिए एक चेन-पुलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा था। जब सिलिंडर ऊपर ले जाया जा रहा था, तभी अचानक चेन टूट गई, जिससे सिलिंडर सीधे दो मंजिला ऊंचाई से नीचे खड़े लालता प्रसाद पर गिर गया। उनके साथ मौजूद साथी प्रभात ने बताया कि सिलिंडर उनके सिर पर गिरने से सिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे सिर दो हिस्सों में बंट गया हो। सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
दुकान मालिक पर मुकदमा दर्ज, पुलिस पर लगा लापरवाही का आरोप
हादसे के बाद दुकान का मालिक दुकान बंद कर मौके से फरार हो गया। परिजनों ने पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अस्पताल में हंगामा किया। कोतवाल राजेश यादव ने बताया कि परिजनों की तहरीर के आधार पर दुकान के मालिक और दो कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, हालांकि आरोपियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इस दौरान पुलिस और परिजनों के बीच कहासुनी भी हुई। परिवार के लोगों का कहना था कि पुलिस ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। लालता प्रसाद के भतीजे को थाने ले जाने की कोशिश करते हुए पुलिस ने कहा, “पहले रिपोर्ट लिखवाओ, फिर गिरफ्तारी करेंगे।”
दुखों का पहाड़: दो घरों की जिम्मेदारी और उज्जवल का जन्मदिन अधूरा रह गया
लालता प्रसाद के परिवार में उनकी पत्नी मीनाक्षी, 12 साल का बेटा प्रांशु, 9 साल की बेटी याधिका, और 11 माह का बेटा उज्जवल हैं। लालता अपने बड़े भाई गोकिल के परिवार की जिम्मेदारी भी निभाते थे। लालता की पत्नी ने बताया कि 4 नवंबर को छोटे बेटे उज्जवल का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की योजना थी, जिसके लिए लालता ने पहले ही निमंत्रण पत्र बांट दिए थे। लेकिन इस हादसे ने खुशियों को मातम में बदल दिया।
संघर्षों से भरी जिंदगी, काम बदलने की थी योजना
लालता प्रसाद की एक समय चीनी मिल गेट के पास खुद की दुकान थी, जिसमें वे एसी, फ्रिज और बिजली के उपकरणों की मरम्मत करते थे। लेकिन अतिक्रमण की जद में आने के कारण उनकी दुकान तोड़ दी गई। इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी, नैनीताल, बागेश्वर और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में जाकर मरम्मत का काम करना शुरू किया। लगातार भागदौड़ से परेशान होकर वे काम बदलने की योजना बना रहे थे। परिजन और रिश्तेदारों के अनुसार, उनकी मौत ने न केवल उनके परिवारों को बल्कि बंडिया भट्टा के समुदाय को भी गहरे सदमे में डाल दिया है, क्योंकि लालता वहां के लोगों के साथ घुले-मिले थे।
पुलिस की असंवेदनशीलता से गुस्से में परिजन
परिजनों का आरोप है कि लालता की मौत के बाद पुलिस ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। जब अस्पताल में लालता की पत्नी और बहन विलाप कर रही थीं, तब मेडिकल चौकी प्रभारी ने टिप्पणी करते हुए कहा, “रोने से बच्चा 10 साल का तो हो नहीं जाएगा, हमें अपना काम करने दो।” इस घटना ने स्थानीय लोगों में पुलिस की मित्रता और संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लालता प्रसाद की आकस्मिक और दर्दनाक मौत से दीपावली की खुशियों के बीच दो परिवारों पर संकट के बादल छा गए हैं। इस हादसे ने न केवल उनके परिवार को बेसहारा कर दिया बल्कि पुलिस की भूमिका और स्थानीय प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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