देहरादून: उत्तराखंड में अवैध मजारों के खिलाफ कार्रवाई के बाद अब धामी सरकार ने अवैध मदरसों पर सख्ती शुरू कर दी है। प्रदेशभर में इन मदरसों की जांच और सत्यापन का व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड में किसी भी प्रकार का अवैध गतिविधि या अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सत्यापन की जिम्मेदारी:
मदरसों के सत्यापन का जिम्मा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंपा गया है। इसके लिए जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को आदेश जारी किए गए हैं। जांच के बाद संबंधित रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।
चौंकाने वाले खुलासे:
जांच के दौरान सामने आए आंकड़े हैरान करने वाले हैं। उधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून जैसे जिलों में बड़ी संख्या में अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं। इन मदरसों में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से हैं।
उधम सिंह नगर: 129 अवैध मदरसों का खुलासा
जिलाधिकारी नितिन भदौरिया के अनुसार, जिले में 129 अवैध मदरसे पाए गए हैं, जिनमें हजारों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इन मदरसों का न तो कोई पंजीकरण है और न ही प्रशासन के पास इनकी जानकारी।
नैनीताल: 26 अवैध मदरसे मिले
हल्द्वानी में हुई जांच में 26 अवैध मदरसे सामने आए हैं। नैनीताल जिले में अवैध मदरसों की जांच जारी है। एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि इन मदरसों की फंडिंग और संचालन से जुड़े पहलुओं की भी जांच की जा रही है।
देहरादून: 90 अवैध मदरसे, 9 हजार छात्र
देहरादून में अब तक 90 अवैध मदरसे चिन्हित किए गए हैं, जिनमें 9 हजार से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। जिलाधिकारी सविन बंसल ने जानकारी दी कि जिले के विकास नगर में 18, डोईवाला में 6, कालसी में 1 और शहर के आसपास 10 अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं।
पुलिस की जांच और फंडिंग पर नजर
उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि अब तक 190 अवैध मदरसों की पहचान हो चुकी है। पुलिस इन मदरसों की आय के स्रोत और फंडिंग की जांच कर रही है। साथ ही, यह पता लगाया जा रहा है कि इनका पंजीकरण क्यों नहीं हुआ और इन्हें कौन संचालित कर रहा है।
सरकार का कड़ा रुख
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि सभी अवैध मदरसों को तत्काल बंद किया जाएगा। हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। शासन-प्रशासन इस मामले में पूरी सतर्कता बरत रहा है।
उत्तराखंड सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
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