उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) हर महीने गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच करता है। इसी क्रम में पिछले महीने हरिद्वार में गंगा जल का सैंपल लिया गया और उसकी गुणवत्ता की जांच की गई। जांच के नतीजों में गंगा जल को ‘बी श्रेणी’ में रखा गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस श्रेणी का पानी नहाने के लिए सुरक्षित है, लेकिन पीने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।
यूकेपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी राजेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि हरिद्वार में गंगा के पानी की गुणवत्ता लंबे समय से ‘बी श्रेणी’ में बनी हुई है। इस श्रेणी में पानी का उपयोग स्नान और अन्य घरेलू कार्यों के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसे सीधे पीने के लिए सुरक्षित नहीं समझा जाता।
पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि हरिद्वार में गंगा जल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, जल में प्रदूषण के कुछ कारण, जैसे गंगा में गिरने वाला औद्योगिक कचरा और शहरी अपशिष्ट, पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल रहे हैं।
गंगा के जल को सुरक्षित बनाए रखने के लिए जागरूकता और सख्त उपायों की आवश्यकता है। यूकेपीसीबी का कहना है कि पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए सरकारी योजनाओं और जनसहभागिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
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