देहरादून उत्तराखंड के छह प्रमुख शहरों में जल्द ही पेयजल संकट से राहत मिलने जा रही है। अमृत योजना 2.0 (अटल मिशन फॉर रिजुविनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) के तहत 95 करोड़ रुपये की पेयजल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य नगरीय क्षेत्रों में पर्याप्त और निरंतर जलापूर्ति सुनिश्चित करना है। यह निर्णय मंगलवार को शहरी विकास सचिव नितेश कुमार झा की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई विभागीय समिति की बैठक में लिया गया। अब इस प्रस्ताव को अंतिम स्वीकृति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी के सामने पेश किया जाएगा।
अमृत योजना 2.0 की पृष्ठभूमि
भूमिअमृत योजना 2.0 को एक अक्टूबर 2021 से शुरू किया गया था और यह योजना अगले पांच वर्षों तक संचालित की जाएगी। इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति, सीवरेज, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। इस योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के कई शहरों को लाभान्वित किया जा रहा है, और अब इस क्रम में अन्य नगरों को भी शामिल किया जा रहा है।
स्वीकृत पेयजल योजनाएं
सचिवालय में हुई बैठक में आठ नगरों के पेयजल परियोजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे, जिनमें से छह नगरों की योजनाओं को स्वीकृति मिल गई। स्वीकृत परियोजनाओं में शामिल नगर और उनके लिए आवंटित बजट इस प्रकार हैं:-
स्वर्गाश्रम-जोंक: 12 करोड़ रुपये
– डीडीहाट: 10 करोड़ रुपये
– कपकोट: 18 करोड़ रुपये
– कर्णप्रयाग: 32 करोड़ रुपये
– देवप्रयाग: 14 करोड़ रुपये
– धारचूला: 9 करोड़ रुपये
शेष दो नगरों के पेयजल योजनाओं पर विचार बाद में किया जाएगा।
बैठक में शामिल अधिकारी
बैठक में शहरी विकास विभाग के निदेशक नितिन भदौरिया, पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान, उप सचिव प्रदीप शुक्ल, और अधीक्षण अभियंता रवि पांडेय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इस योजना के अंतर्गत नगरों में पेयजल संकट को समाप्त करने के लिए तेजी से काम किया जाएगा ताकि आने वाले समय में जलापूर्ति निर्बाध रूप से सुनिश्चित की जा सके।
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