देहरादून- उत्तराखंड के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी एनआईटी, उत्तराखंड के स्थायी परिसर को पौड़ी के सुमाड़ी में बनाने को लेकर लम्बे समय से चली आ रही खींचतान खत्म हो गयी है और छह महीने के भीतर ही भवन निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।एनआईटी के माननीय निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने यह जानकारी एक पत्रकार वार्ता के दौरान साझा की जिसमे वह कार्यदायी संस्था को एनआईटी उत्तराखंड-सुमाड़ी परिसर, पौडी गढ़वाल में ढांचागत सुविधाओं के निर्माण और विकास कार्य के लिए प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय स्वीकृति सम्बन्धी पत्र सौंप रहे थे।निदेशक प्रोफेसर अवस्थी ने बताया ाप सुमाड़ी परिसर में 1260 छात्रों के लिए एक आधुनिक और अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और विकास कार्य 60 एकड़ भूमि में लगभग 90451 वर्गमीटर के प्लिंथ क्षेत्र पर राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) द्वारा किया जाएगा जिसकी अनुमानित लगत लगभग छह सौ पचास करोड़ चैरासी लाख रूपये है।
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उन्होंने कहा कि एनबीसीसी द्वारा प्रस्तुत किये गए लागत अनुमान में बुनियादी ढांचे के विकासात्मक कार्यों में भवनों के निर्माण के अतरिक्त 6 मीटर चैड़ी और 3.7 किमी लम्बी सड़क का निर्माण भी शामिल है।प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि एनबीसीसी और एनआईटी उत्तराखंड के बीच एमओयू के अनुसार निर्माण कार्यों को कार्य आदेश जारी होने के छत्तीस महीने के भीतर, जिसमें छह महीने परियोजना की प्लानिंग और निर्माण के लिए 30 महीने शामिल हैं। जिसके अनुसार, सम्पूर्ण निर्माण कार्य 30 सितंबर 2027 को या उससे पहले पूरा हो जाने कि उम्मीद है। उन्होंने कहा कि एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय मंजूरी मिलने के 15 दिनों के भीतर अनुबंध मूल्य के 10ः के बराबर परफॉरमेंस सिक्योरिटी जमा करनी होगी जिसके बाद एन आई टी द्वारा अनुमोदित प्रारंभिक अनुमान की 10ः राशि यानी 6500 लाख रूपये की पहली किश्त जारी कर दी जायेगी। 650.85 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को एचईएफए ऋण (हेफा लोन) के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है जिसे संस्थान के आंतरिक संसाधनों और शिक्षा मंत्रालय के समर्थन द्वारा संयुक्त रूप से चुकाया जाएगा।गौरतलब बात है कि शिक्षा मंत्रालय (शिक्षा मंत्रालय) द्वारा संसद के अधिनियम के तहत 2009 उत्तराखंड राज्य में में एनआईटी आवंटित की गयी थी और 2010 से यह संस्थान अस्थाई रूप से राजकीय पॉलिटेक्निक, श्रीनगर के परिसर से संचालित हो रहा था। एनआईटी के लिए सुमाड़ी गावं के समीप 310 एकड़ जमीन दान के रूप में मिली थी परन्तु भूमि चिन्हीकरण और हस्तांतरण कि दिक्कतों की वजह से निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा था और लम्बे समय से सुमाड़ी में एनआईटी कैंपस के निर्माण को लेकर जद्दोजहद चल रही थी। केंद्र सरकार का फैसला जिसमे कहा गया की एनआईटी का एक परिसर श्रीनगर और दूसरा सुमाड़ी में होगा, आने के बाद श्रीनगर के रेशमफार्म की लगभग पांच एकड़ की भूमि पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया था और प्रथम चरण का कार्य पूरा भी कर लिया गया है और दुसरे चरण का कार्य चल रहा है।
परन्तु सुमाड़ी परिसर की स्थिति जस की तस रही क्योकि वहां निर्माण को लेकर कुछ जमीनी दिक्कतें भी सामने आ रही थी।2022 में प्रोफेसर अवस्थी द्वारा निदेशक का कार्यभार सँभालने के बाद सुमाड़ी में कैंपस निर्माण की कवायदों में तेजी आयी। और परिसर निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गयी परन्तु पैसों की कमी के चलते टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. संस्थान के पास 586.75 करोड़ रुपये थे, संस्थान के पास 586.75 करोड़ रुपये थे, जबकि एल 1 टेंडर की लागत 650.10 करोड़ आ रही थी. उसके बाद शिक्षा मंत्रालय द्वाराअतिरिक्त पैसा स्वीकृत करने का अनुरोध किया गया और बढ़ी हुई राशि स्वीकृति के बाद टेंडर प्रक्रिया एक बार फिर शुरू की गयी। बाद में पता चला की जिस जगह पर एनआईटी का निर्माण होना है वहां कुछ जमीन उत्तराखंड के नाम पर नहीं है जिस कारण दिक्कतें आ रही हैं। जिसके बाद निदेशक महोदय ने जिलाऔर तहसील प्रशासन के साथ मिलकर सभी दिक्कतों को दूर किया। इस लिहाज से सुमारी परिसर एक बहुप्रतीक्षित विकास है और इसको लेकर संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों में खुशी का माहौल है।