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देहरादून में जिला प्रशासन ने सड़क पर भीख मांगने और कूड़ा बीनने को मजबूर बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए ‘भिक्षा नहीं, शिक्षा दो’ नामक विशेष अभियान शुरू किया है। इस पहल के तहत, जिन मासूमों के हाथों में कभी कटोरे हुआ करते थे, अब वे हाथ किताबों और कलम से सजे हुए हैं। इन बच्चों को साधु राम इंटर कॉलेज में बनाए गए इंटेंसिव केयर सेंटर में लाकर उनकी शिक्षा और विकास पर काम किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा और खेलकूद के माध्यम से आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना है।


बच्चों को शिक्षा और खेल से जोड़ा जा रहा है

जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि बच्चे देश और समाज का भविष्य हैं। भीख मांगने और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को रेस्क्यू कर इस सेंटर में लाया जा रहा है, जहां उन्हें पढ़ाई और खेलकूद में शामिल किया जा रहा है। बच्चों को भोजन, खेल सामग्री और पढ़ाई के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। प्रशासन का लक्ष्य है कि इन बच्चों को जल्द ही स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए और उनकी पढ़ाई का पूरा खर्च जिला प्रशासन उठाएगा।


अब तक 23 बच्चों का हुआ रेस्क्यू

अभियान के तहत अब तक 23 से अधिक बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। इन बच्चों को देहरादून के साधु राम इंटर कॉलेज में बनाए गए आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर में शिक्षा दी जा रही है। सेंटर में पढ़ाई के साथ-साथ खेल, ड्राइंग और पेंटिंग जैसी गतिविधियों में बच्चों की रुचि बढ़ाई जा रही है। जो बच्चे कभी गरीबी के कारण सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर थे, वे अब अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।


बच्चों में दिख रहा सकारात्मक बदलाव

सेंटर के अध्यापक रामलाल ने बताया कि बच्चों का पढ़ाई और खेलकूद में गहरा लगाव देखा जा रहा है। यह पहल बच्चों को न केवल सड़कों से स्कूल तक लाने में सफल हो रही है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और अनुशासन भी विकसित कर रही है। वहीं, शिक्षिका रवीना लंबा ने बताया कि शुरुआती दिनों में बच्चों को नई दिनचर्या में ढालने में थोड़ी मुश्किलें आईं, लेकिन अब बच्चे सीखने के लिए उत्साहित हैं और अनुशासन में सुधार हो रहा है।


बच्चों के भविष्य की नई राह

सेंटर में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनकी छिपी प्रतिभाओं को निखारने का मौका दिया जा रहा है। फर्नीचर, खेल सामग्री और अन्य सुविधाओं से सुसज्जित इस सेंटर में बच्चे न केवल पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं, बल्कि कला और अन्य गतिविधियों में भी अपना हुनर प्रदर्शित कर रहे हैं। यह अभियान बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ समाज में प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

जिला प्रशासन की यह पहल बच्चों को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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