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उत्तराखंड सरकार ने राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की दिशा में फिर से कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया के तहत 15,000 से अधिक संविदा कर्मियों को स्थायी सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, कट-ऑफ डेट को लेकर विवाद जारी है, जिसके समाधान के लिए विधिक राय ली जा रही है। संशोधित प्रस्ताव को जल्द ही अंतिम रूप देकर कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा।प्रदेश में संविदा कर्मियों को नियमित करने के प्रयास लंबे समय से जारी हैं। सरकार ने इस मुद्दे पर कई नियमावलियां बनाई हैं, जिनमें 2011 में पहली नियमावली तैयार की गई थी। इस नियमावली के अनुसार, 2011 तक 10 वर्षों की सेवा पूरी करने वाले संविदा कर्मियों को नियमित करने की व्यवस्था की गई थी। हालांकि, कई कर्मी इस प्रक्रिया के तहत नियमित नहीं हो पाए, जिसके कारण 2013 में एक और नियमावली लाई गई। इसके बावजूद भी संविदा कर्मियों का एक बड़ा हिस्सा नियमित होने से वंचित रह गया।सरकार ने 2016 में एक संशोधित विनियमितीकरण नियमावली जारी की, जिसमें न्यूनतम सेवा अवधि को 10 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया।

हालांकि, इस नियमावली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, जो इसी वर्ष फरवरी में हटा ली गई। अगस्त में आयोजित कैबिनेट बैठक में 2018 तक 10 साल की सेवा पूरी कर चुके कर्मियों को नियमित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था।

कैबिनेट के कुछ सदस्यों ने कट-ऑफ डेट पर असहमति जताई और वर्ष 2024 तक के संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की मांग की। इस पर, प्रस्ताव को पुनः परीक्षण के लिए कार्मिक विभाग को वापस भेज दिया गया। अपर मुख्य सचिव कार्मिक आनंद बर्द्धन ने कहा कि नियमावली में संशोधन का परीक्षण किया जा रहा है और जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट में पुनः प्रस्तुत किया जाएगा।

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