मुख्यमंत्री ने किया संतों का धन्यवाद, यूसीसी को बताया ‘विकसित भारत’ की ओर एक बड़ा कदम
प्रयागराज में आयोजित “समानता के साथ समरसता” कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भव्य स्वागत किया गया। इस आयोजन में देशभर से आए पूज्य संतों और श्रद्धालुओं ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने पर मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड की पावन भूमि पर यूसीसी लागू करना ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने यह भी कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उनकी सरकार ने राज्य की जनता के सामने समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था और अब इसे साकार कर दिया गया है।
यूसीसी लागू करने की यात्रा: संकल्प से साकार तक
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि उनकी सरकार ने सत्ता में आते ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता के लिए कमेटी का गठन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिससे यह कानून आजादी के बाद देश में सबसे पहले उत्तराखंड में लागू हुआ।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी समान कानूनों का प्रावधान किया था, और अब देवभूमि उत्तराखंड से यह समानता और समरसता की गंगा पूरे देश में प्रवाहित होगी।
महाकुंभ और सनातन संस्कृति से प्रेरित यूसीसी
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सनातन संस्कृति की विशालता का प्रतीक है। हमारी सनातन संस्कृति सदैव समरसता और समानता की समर्थक रही है, और इसी प्रेरणा से उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी लागू करने का साहसिक निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का संकल्प इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। आने वाले समय में देश के अन्य राज्य भी उत्तराखंड के इस कदम को अपनाएंगे।
यूसीसी से बेटियों की सुरक्षा होगी सुनिश्चित
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में श्रद्धा वाकर हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि यह कानून हमारी बेटियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाएगा और उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।
संतों का समर्थन और उत्साह
इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित संत मौजूद रहे, जिन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यूसीसी लागू करने की पहल की सराहना की।
महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अब एक छोटा राज्य नहीं, बल्कि सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है, जहां सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू की गई।
स्वामी चिदानंद मुनि
उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को सभी संतों का प्रिय नेता बताया और कहा कि उनकी सरकार ने भारत को बल देने का कार्य किया है।
महंत श्रीहरि गिरी जी महाराज
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने इस कानून को लागू कर एक नया इतिहास रच दिया है, और अन्य राज्य भी अब इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज, श्रीमहंत रविंद्रपुरी जी महाराज, महामंडलेश्वर नारायण गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर साध्वी निरंजन ज्योति, महामंडलेश्वर स्वामी आशुतोषानंद गिरी महाराज सहित कई प्रतिष्ठित संतगण और श्रद्धालु उपस्थित रहे।
उत्तराखंड की पहल से पूरे देश में फैलेगा समानता का संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड से शुरू हुई यह क्रांति पूरे देश में समान नागरिक संहिता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। यह कानून केवल वर्तमान के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए भी आवश्यक है।
उन्होंने संत समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका आशीर्वाद प्राप्त होना सौभाग्य की बात है और यह समर्थन उत्तराखंड के हर नागरिक का सम्मान है।
इस ऐतिहासिक कदम से उत्तराखंड ने एक नई मिसाल कायम की है, जो देश के अन्य राज्यों को भी समानता और न्याय की ओर प्रेरित करेगी।