खबर उत्तराखंड से जहाँ आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और रावल देव डोलियों के साथ बदरीनाथ धाम पहुंच गए हैं। कल गुरुवार को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इससे पहले पांडुकेश्वर में सैकड़ों भक्त उमड़े। 25 अप्रलै को केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। इसी के साथ चारधाम यात्रा को लेकर लोगों में भारी उत्साह दिखाई दे रहा है।
जी हाँ,जोशीमठ नृसिंह मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, गाडू घड़ तेल कलश यात्रा और बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी व अन्य वेदपाठी योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हो गए थे। इससे पूर्व रावल ने नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना संपन्न की। इस दौरान भक्तों के जय बदरीविशाल के जयकारों से जोशीमठ गुंजायमान हो उठा।
बता दें की बुधवार को पांडुकेश्वर से कुबेर जी और उद्धव जी की उत्सव डोली भी बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। मंगलवार सुबह नौ बजे से नृसिंह मंदिर परिसर में बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने संकल्प पूजाएं संपन्न की। इसके बाद सुबह साढ़े 10 बजे आर्मी की बैंड धुनों के साथ रावल के साथ ही अन्य वेदपाठी, गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी को पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया गया।
वहीं इस दौरान मंदिर में पहुंचे भक्तगणों ने नृसिंह भगवान से चारधाम यात्रा के निर्विध्न संपन्न होने की मनौतियां मांगी। महिलाओं ने कीर्तन-भजन का आयोजन भी किया। इस मौके पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार, पूर्व पालिकाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, विपुल डिमरी, सुभाष डिमरी, कृष्णमणि थपलियाल आदि मौजूद रहे।