उत्तराखंड में भूमि खरीद को लेकर राज्य सरकार ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं। नए भू-कानून के तहत अब एमएसएमई (मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों) के लिए भूमि खरीद की अनुमति का अधिकार जिलाधिकारी से हटाकर राज्य शासन को दे दिया गया है।

उद्योग, पर्यटन, स्वास्थ्य और शिक्षण संस्थानों को मिलेगी विशेष छूट

राज्य सरकार ने कुछ थ्रस्ट सेक्टर को प्राथमिकता देते हुए निवेश के लिए अवसर खुले रखे हैं। इनमें उद्योग, अस्पताल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं, पर्यटन गतिविधियां, और शिक्षण संस्थान शामिल हैं। हालांकि, इसके लिए संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा। निवेशक को कितनी भूमि की जरूरत है, इसका निर्धारण संबंधित विभागों के मानकों के आधार पर किया जाएगा।

पोर्टल के माध्यम से होगी निगरानी, गलत जानकारी देने पर सरकार ले लेगी कब्जा

राज्य में भूमि खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और नियंत्रित करने के लिए पोर्टल के माध्यम से निगरानी की जाएगी। अगर कोई बाहरी व्यक्ति निकाय क्षेत्र से बाहर आवासीय उद्देश्य से भूमि खरीदना चाहता है, तो उसे एक बार में अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की अनुमति होगी। इसके लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, और यदि गलत जानकारी दी गई, तो राज्य सरकार उस भूमि पर कब्जा कर लेगी।

कृषि भूमि खरीद पर प्रतिबंध, केवल दो जिलों को छूट

नए कानून के तहत, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिलों को छोड़कर अन्य सभी 11 जिलों में कृषि एवं बागवानी के लिए भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन दो जिलों में भी यदि कोई व्यक्ति भूमि खरीदता है, तो उसे राज्य के किसी अन्य जिले में भूमि खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।

बिना अनुमति खरीदी गई भूमि होगी राज्य सरकार के अधीन

अगर किसी व्यक्ति ने सरकार की अनुमति के बिना भूमि खरीदी, तो वह भूमि स्वतः राज्य सरकार के अधीन हो जाएगी। हालांकि, पर्वतीय जिलों में कृषि और बागवानी के लिए लीज पर भूमि लेने की अनुमति दी गई है, जिससे ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का अवसर मिलेगा।

लीज नीति से पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को मिलेगा लाभ

राज्य सरकार केंद्र सरकार के मॉडल लीज एक्ट का अध्ययन कर एक नई लीज नीति तैयार करेगी। इस नीति में लीज पर दी जाने वाली भूमि के किराए का निर्धारण भी किया जाएगा, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों के लोग अपनी भूमि से आर्थिक लाभ कमा सकें।

अब शासन देगा भूमि खरीद की अनुमति

संशोधित भू-कानून की धारा 154 (4) (3) (क) के तहत, पर्वतीय और मैदानी जिलों में उद्योगों, पर्यटन, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, खेल अकादमियों और सस्ते आवास परियोजनाओं के लिए भूमि खरीद की व्यवस्था की गई है।

  • मैदानी जिलों में अधिकतम 12.5 एकड़ तक भूमि खरीदने की सीमा तय की गई है।
  • पर्वतीय जिलों में यह सीमा हटा दी गई है।
  • पहले जिलाधिकारी भूमि खरीद की अनुमति देते थे, लेकिन अब यह अधिकार राज्य शासन के पास होगा।

निष्कर्ष:

नए भू-कानून से उत्तराखंड में बेतरतीब भूमि खरीद पर रोक लगेगी और सुनियोजित विकास को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, उद्योग, पर्यटन और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निवेश को आसान बनाया गया है, जिससे राज्य में आर्थिक विकास को बल मिलेगा।

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