देहरादून: उत्तराखंड के लोकप्रिय हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई का निधन हो गया। उन्होंने देहरादून के श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में अंतिम सांस ली। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत नाजुक बनी हुई थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन की खबर से उनके प्रशंसकों, परिजनों और उत्तराखंड के कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

हार्ट अटैक से हुआ निधन, डॉक्टरों ने की थी बचाने की कोशिश

श्री महंत इंद्रेश अस्पताल के पीआरओ भूपेंद्र रतूड़ी ने घनानंद के निधन की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध लोक कलाकार घनानंद की मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई। डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर देकर बचाने की कोशिश की, लेकिन उनकी हालत गंभीर होने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका।

प्रोस्टेट सर्जरी के बाद बिगड़ी थी तबीयत

घनानंद को दो महीने पहले प्रोस्टेट की समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 5 नवंबर 2024 को उनकी प्रोस्टेट ग्रंथि का ऑपरेशन किया गया था। हाल ही में यूरिन में रक्तस्राव की समस्या के चलते उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई।

हास्य अभिनय से लेकर राजनीति तक, घनानंद का बहुमुखी सफर

1953 में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में जन्मे घनानंद ने अपनी शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन, जिला पौड़ी से पूरी की। उन्होंने 1970 में रामलीलाओं में हास्य कलाकार के रूप में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और अपनी विशिष्ट कॉमिक टाइमिंग और बेहतरीन अदाकारी से दर्शकों को गुदगुदाते रहे।

घनानंद ने उत्तराखंड की कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया, जिनमें घरजवैं, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, ब्वारी हो त यनि, घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज जैसी फिल्में शामिल हैं।

इसके अलावा, 1974 में उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के कई कार्यक्रमों में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनके हास्य अभिनय ने उन्हें उत्तराखंड में अपार प्रसिद्धि दिलाई।

राजनीति में भी आजमाया था हाथ

अपनी लोकप्रियता के चलते घनानंद ने राजनीति में भी कदम रखा। साल 2012 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। बावजूद इसके, वे भाजपा के स्टार प्रचारक बने रहे और चुनाव अभियानों में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।

कला जगत को भारी क्षति

घनानंद के निधन से उत्तराखंड के सांस्कृतिक और कला जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। वे सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और हास्य परंपरा के जीवंत प्रतीक थे। उनके निधन पर प्रशंसकों, राजनीतिक नेताओं और फिल्म जगत से जुड़े लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

Share.
Leave A Reply