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केदारनाथ घाटी का जनादेश इस बार भाजपा के पक्ष में गया, और इस उपचुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी। कांग्रेस ने इस चुनाव में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को मुद्दा बनाने का प्रयास किया, लेकिन इसके चक्रव्यूह में कांग्रेस खुद ही फंस गई और अंततः भाजपा ने चुनाव जीत लिया। आइए जानते हैं भाजपा की इस जीत के प्रमुख कारण क्या रहे।

भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर थी

केदारनाथ उपचुनाव केवल एक विधानसभा सीट का चुनाव नहीं था, बल्कि इस सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा और विचारधारा भी दांव पर लगी थी। बदरीनाथ में हार के बाद भाजपा ने इस उपचुनाव को गंभीरता से लिया, ताकि पार्टी को वैचारिक मोर्चे पर रक्षात्मक स्थिति में न आना पड़े। इसलिए, भाजपा ने इस उपचुनाव के लिए पूरी ताकत झोंकी।

भाजपा की सशक्त चुनावी रणनीति

चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा ने लगभग तीन महीने पहले ही चुनावी रणनीतिकारों को मैदान में उतार दिया था। युवा मंत्री सौरभ बहुगुणा और प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के साथ विधायक भरत चौधरी ने मिलकर प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रचार का दौर लगातार 17 दिन तक जारी रहा, और इस दौरान भाजपा के प्रचारकों ने हर स्तर पर जनता के बीच भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सक्रियता

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस उपचुनाव को अपने नेतृत्व का सवाल मानते हुए पूरी ताकत झोंकी। उन्होंने केदारनाथ क्षेत्र के विकास और आपदा प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की। चुनाव से पहले और चुनाव के आखिरी दिनों में वे लगातार केदारनाथ में पहुंचे और जनता के बीच भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का कार्य किया।

महिला प्रत्याशी का चयन

भाजपा ने महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला नेता आशा नौटियाल को उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया। भाजपा को उम्मीद थी कि महिला प्रत्याशी पर दांव सही साबित होगा और वे महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएंगे। और ऐसा हुआ, भाजपा ने इस दांव के साथ महिला उम्मीदवार की जीत का एक और रिकॉर्ड स्थापित किया।

केदारनाथ मंदिर शिलान्यास मामला

कांग्रेस ने दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया था, लेकिन यह मुद्दा भाजपा के लिए कमजोरी की बजाय शक्ति बन गया। सीएम धामी ने इस मामले को बड़े सधे हुए तरीके से संभाला, जिससे लोगों की नाराजगी दूर हुई और भाजपा के पक्ष में माहौल और मजबूत हुआ।

निष्कर्ष

भाजपा की इस उपचुनाव में जीत के पीछे कई रणनीतियाँ और कड़ी मेहनत शामिल थी। पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं, चुनावी प्रबंधकों और जनता के बीच निरंतर संपर्क बनाए रखते हुए इस जीत को हासिल किया। महिला उम्मीदवार के चयन और केदारनाथ मंदिर से जुड़ी सूझबूझ भरी रणनीतियाँ भाजपा की जीत के मुख्य कारण बने।

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