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देहरादून, । हरियाणा में लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने से उत्तराखंड भाजपा में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। पार्टी के लिए अब उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों और केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव की चुनौती सामने है। हरियाणा की यह जीत राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए नैतिक समर्थन का काम करेगी, साथ ही चुनावी अभियान में “डबल इंजन सरकार” के महत्व को और अधिक मजबूती से उजागर करेगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया, जिनमें से अधिकांश सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। इसका प्रभाव उत्तराखंड में पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति पर भी दिखेगा। चुनाव चाहे जो भी हो, उसमें कार्यकर्ताओं का मनोबल अहम भूमिका निभाता है। उत्तराखंड में भाजपा का विजय अभियान 2014 के लोकसभा चुनावों से निरंतर जारी है। तब से अब तक पार्टी ने राज्य में लोकसभा और विधानसभा के सभी चुनावों में जीत दर्ज की है। हालांकि, मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा को सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन यह सीटें पहले भी भाजपा के पास नहीं थीं। अब भाजपा के सामने केदारनाथ विधानसभा सीट के उपचुनाव में जीत दर्ज करना और नगर निकाय चुनावों में अपने पिछले प्रदर्शन से बेहतर परिणाम हासिल करना प्राथमिक चुनौती है। हरियाणा की जीत से उत्साहित भाजपा कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस जीत से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की राजनीतिक साख भी और मजबूत हुई है, जो हाल के वर्षों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) जैसी ऐतिहासिक पहलों के लिए देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। लोकसभा चुनावों में धामी को विभिन्न राज्यों में स्टार प्रचारक के रूप में भी तैनात किया गया, और हरियाणा व जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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