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उत्तराखंड में निकाय चुनाव का माहौल गरमा चुका है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। लेकिन टिकट वितरण के बाद से कई नेता नाराज होकर बागी रुख अपना रहे हैं। खासकर बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के लिए बागी उम्मीदवार सिरदर्द बन गए हैं। इन बागियों के कारण दोनों दलों को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।

बीजेपी ने पौड़ी जिले के बागी उम्मीदवारों की एक सूची तैयार कर प्रदेश नेतृत्व को भेज दी है। पार्टी ने 8 जनवरी तक इन बागियों को वापस लौटने का मौका दिया है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

पौड़ी में बागियों की बढ़ी चुनौती

पौड़ी जनपद में बीजेपी के लिए बागी उम्मीदवार बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। श्रीनगर नगर निगम में बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष लखपत भंडारी की पत्नी आरती भंडारी ने बागी होकर मेयर पद के लिए निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। वहीं, पौड़ी नगर पालिका चुनाव में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसर सिंह नेगी की पत्नी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। इनके अलावा कुसुम चमोली, बीरा भंडारी और प्रियंका पंत थपलियाल जैसे नाम भी बागी उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं।

बीजेपी जिला अध्यक्ष कमल किशोर रावत ने बताया कि इन सभी बागियों की सूची प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी गई है। पार्टी ने 8 जनवरी तक का समय दिया है, ताकि ये नेता पार्टी में वापस लौट सकें। इसके बाद इन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस भी बागियों से परेशान

बीजेपी की तरह कांग्रेस भी अपने बागी नेताओं से चिंतित है। टिकट वितरण के बाद से नाराज कार्यकर्ता अन्य दलों का रुख कर रहे हैं या निर्दलीय मैदान में उतर रहे हैं। इससे पार्टी की जीत की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।

बीजेपी का दावा: मेयर पद सहित सभी वार्डों में जीत

श्रीनगर नगर निगम में बीजेपी ने अपने मेयर प्रत्याशी आशा उपाध्याय के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि पार्टी को जनता के विकास कार्यों पर भरोसा है। उन्होंने दावा किया कि श्रीनगर के 40 वार्डों के साथ-साथ मेयर पद पर भी बीजेपी जीत हासिल करेगी।

चुनावी समीकरण और बागियों की भूमिका

उत्तराखंड के निकाय चुनाव में बागी उम्मीदवार चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों को इनसे निपटने के लिए अपनी रणनीतियों को मजबूत करना होगा। आने वाले दिनों में बागियों पर कार्रवाई और उनके रुख से यह तय होगा कि निकाय चुनाव का परिणाम किस ओर जाएगा।

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