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कपकोट में आपदा प्रभावित गांव कुंवारी के ग्रामीणों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है। गांव से बाहर निकलने वाले दोनों पैदल रास्ते बंद हो गए हैं। कुंवारी के लोग न तो थराली जा सकते हैं और ना भराड़ी आ सकते हैं।कपकोट में आपदा प्रभावित गांव कुंवारी के ग्रामीणों का दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है। गांव से बाहर निकलने वाले दोनों पैदल रास्ते बंद हो गए हैं।

कुंवारी के लोग न तो थराली जा सकते हैं और ना भराड़ी आ सकते हैं। ट्रॉली वाले रास्ते से केवल 10 परिवार ही आवाजाही कर पा रहे हैं। बाकी लोगों के लिए निर्माणाधीन पुल से खतरा उठाकर आवागमन करना ही विकल्प था, उसे भी प्रशासन ने बंद कर दिया है। गांव से बाहर निकलने के रास्ते बंद होने के बाद ग्रामीणों को नमक, तेल जैसे जरूरी सामान की किल्लत होने लगी है।कुंवारी गांव वर्ष 2013 से आपदाग्रस्त है। वर्तमान में भी लगातार गांव में भूस्खलन हो रहा है।

भूस्खलन से गांव के पैदल रास्ते टूट चुके हैं। गांव में आने-जाने के दो ही रास्ते थे। एक चमोली जिले के झालिया गांव से था और दूसरा विलुप तोक से शंभू नदी को पार करके गांव तक जाने के लिए था। दोनों रास्ते भूस्खलन की भेंट चढ़ चुके हैं। वर्ष 2014 में शंभू नदी पर बना पुल भी बह गया था। इसके बाद से हर साल नदी में अस्थायी पुल बनाया जाता है जो बारिश के दौरान बह जाता है।

वर्तमान में नदी पार करने के लिए एक ट्राॅली लगी है लेकिन गांव के पैदल रास्ते टूटने के कारण उस ट्राॅली का उपयोग केवल दस परिवार ही कर पा रहे हैं। अधिकतर ग्रामीणों को गांव तक पहुंचने के लिए मार्ग पर निर्माणाधीन पुल का ही सहारा है।कुंवारी के ग्रामीण बिशन सिंह बताते हैं कि आपदा प्रभावितों के लिए सरकार ने लगातार मदद की है लेकिन आज कल हालात अधिक बिगड़ गए हैं। तेल और नमक जुटाना भारी पड़ रहा हे। गेहूं हैं लेकिन उन्हें पिसवाने का इंतजाम नहीं है। गांव से बाहर जाने के रास्ते बंद होने से दिक्कत हो रही है। लोग कालापानी जैसी सजा भुगत रहे हैं। ग्रामीण केशर सिंह कहते हैं कि वीडियो वायरल होने के बाद पुल से आवाजाही भी रोक दी गई है। राजस्व उपनिरीक्षक ने गांव आकर विपुल से पैदल झालिया होते हुए वापस गांव में आने के निर्देश दिए हैं। इससे लोगों को 12 किमी का चक्कर काटना पड़ेगा। हालांकि, झालिया जाने वाला पैदल रास्ते पर भूस्खलन हो रहा है।

जूना गधेरे की पैदल पुलिया भी टूट गई है। प्रशासन बिना मौका मुआयना किए ही निर्देश दे रहा है।प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक हरीश चंद्र जोशी ने बताया कि स्कूल में मध्याह्नन भोजन का राशन भी कुछ दिन का बचा है। रास्ते बंद होने के कारण विलुप और बैंगनी तोक के विद्यार्थी स्कूल नहीं आ पा रहे हैं।बागेश्वर जिले के ग्राम प्रधान धर्मा देवी ने वीडियो जारी कर बताया कि गांव के हालात विपरीत हैं। एक ओर खाने का संकट है तो दूसरी ओर गांव में बीमार पड़ने पर लोग इलाज नहीं करा पा रहे हैं। कोई सक्षम अधिकारी गांव का भ्रमण नहीं कर रहा। प्रशासन को गांव में राशन, दवाइयां आदि वितरित करनी चाहिए। कोट-भूस्खलन से कुंवारी गांव में कुछ समस्या हुई है,लेकिन रास्ते पूरी तरह से बंद नहीं हैं।

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निर्माणाधीन पुल से जोखिम उठाकर आवाजाही करने पर रोक लगा दी गई है। पैदल रास्तों में कुछ स्थानों पर मलबा आया है, जिसे जल्द दुरुस्त कराने का प्रयास किया जा रहा है

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