उत्तराखंड सरकार ने उच्च शिक्षा को उद्योगों के साथ जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब केवल डिग्री प्राप्त करना ही शिक्षा का लक्ष्य नहीं रहेगा, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और उद्योगों में प्रशिक्षण भी मिलेगा। शैक्षिक सत्र 2025-26 से प्रदेश में अप्रेंटिस इम्बेडेड डिग्री प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे छात्र-छात्राओं को न केवल रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे, बल्कि उद्योगों को भी कुशल जनशक्ति उपलब्ध होगी। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी कर चुके हैं, और पाठ्यक्रमों को संशोधित करने की प्रक्रिया जारी है।
रोजगारपरक शिक्षा की ओर कदम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा को अधिक रोजगारपरक बनाने की योजना बनाई है। देवभूमि उद्यमिता विकास योजना के अंतर्गत राज्य के सभी राजकीय महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस पहल के तहत विभिन्न उद्योगों, कृषि, प्रबंधन एवं अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जिससे छात्र व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।
अप्रेंटिसशिप और इंटर्नशिप को मिलेगा बढ़ावा
प्रदेश में डिग्री पाठ्यक्रमों के साथ-साथ अब उद्योगों में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य की जा रही है। इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रमों में आवश्यक संशोधन किए जा रहे हैं, ताकि छात्र अध्ययन के दौरान ही व्यावसायिक कौशल अर्जित कर सकें। शैक्षिक सत्र 2025-26 से इंटर्नशिप को प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा, जिससे छात्रों को अपने संबंधित क्षेत्रों में वास्तविक कार्य अनुभव मिलेगा।
नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के अनुरूप पाठ्यक्रम
उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि नए पाठ्यक्रमों को नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। इससे छात्रों को अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए क्रेडिट अंक मिलेंगे, जो उनके भविष्य के करियर को मजबूत करने में मदद करेगा। इसके तहत कौशल विकास से जुड़े पाठ्यक्रमों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा जाएगा और छात्रों को उनके प्रदर्शन के आधार पर अंक भी दिए जाएंगे।
उद्योगों और शिक्षण संस्थानों के बीच बढ़ेगा समन्वय
प्रदेश सरकार इस नई शिक्षा प्रणाली के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों और विभिन्न उद्योगों के बीच मजबूत साझेदारी स्थापित कर रही है। इससे छात्रों को न केवल किताबों से ज्ञान प्राप्त होगा, बल्कि वे उद्योगों में जाकर वास्तविक अनुभव भी हासिल करेंगे। इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उद्योगों को प्रशिक्षित और योग्य कर्मी मिलेंगे।
उच्च शिक्षा मंत्री ने दिए आवश्यक निर्देश
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उच्च शिक्षा परिषद की बैठक में विभाग को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत पाठ्यक्रमों को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है और शिक्षण संस्थानों को उद्योगों के साथ जोड़ने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च शिक्षा केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित न रहे, बल्कि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाए।
इस नई पहल से उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का परिदृश्य पूरी तरह बदल जाएगा और छात्रों को अध्ययन के साथ-साथ वास्तविक कार्य अनुभव भी मिलेगा। यह कदम प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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