छात्र के भविष्य निर्माण में एक शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है शिक्षक केवल शब्दों का ज्ञान ही नहीं देते वह छात्रों के जीवन को संघर्ष के समय सुरक्षित रखने वाला शिल्पकार भी होता है। अल्मोड़ा के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले भास्कर जोशी एक ऐसे ही शिक्षक हैं पहाड़ के सुदूरवर्ती क्षेत्र में बच्चों को जिंदगी का ककहरा सिखाने वाले भास्कर जोशी को गूगल ने सर्टिफाइड एजुकेटर होने का प्रमाण पत्र दिया है ।
आपको बता दें की, भास्कर जोशी की यह उपलब्धि इसलिए खास है क्योंकि वह गूगल सर्टिफाइड एजुकेटर बनने वाले उत्तराखंड के पहले शिक्षक है अल्मोड़ा के धौला देवी ब्लॉक में एक जगह है बजेला । भास्कर जोशी यही कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय में सेवाएं दे रहे हैं तकनीकी पहुंचना होने की वजह से यहां के बच्चे आधुनिक पढ़ाई से वंचित हैं कोरोना काल में स्कूल बंद हुए तो परेशानी और बढ़ गई ऐसे में बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए भास्कर जोशी ने खुद स्कूल की एक वेबसाइट तैयार की है।
वहीं, इस पर उन्होंने 500 से अधिक वर्कशीट व खुद के तैयार एनीमेटेड वीडियो अपलोड किए हैं जिनके माध्यम से देश-विदेश के बच्चे अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रख सकते हैं भास्कर जोशी बताते हैं कि वह पहले व्हाट्सएप के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे थे लेकिन इसमें कई तरह की परेशानियां थी फिर उन्हें गूगल फॉर एजुकेशन के जरिए पढ़ाई कराने का आईडिया आया यह निशुल्क प्लेटफार्म हर किसी के लिए फायदेमंद है।
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बता दें की, उन्होंने इसके बारे में और जानकारी इकट्ठा की है 10 डॉलर यानी कि 850 रुपए का शुल्क जमा कर अंतरराष्ट्रीय परीक्षा दी परीक्षा पास कर भास्कर गूगल सर्टिफाइड एजुकेटर बन गए अब वह कक्षा में गूगल के माध्यम से कई तकनीकी विषयों को समझा सकते हैं छात्रों का ज्ञान बढ़ा सकते हैं भास्कर वर्तमान में अपने एक साथी के साथ मिलकर बच्चों के लिए ऑनलाइन पत्रिका डुगडुगी के प्रकाशन में जुटे हैं ताकि पहाड़ के बच्चों को नए नए विषयों की जानकारी दी जा सके।
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