अल्मोड़ा जिले के मारचुला क्षेत्र में हुए दर्दनाक बस हादसे ने उत्तराखंड परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में बस में क्षमता से अधिक सवारियां थीं, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि क्या परिवहन विभाग की नियमित निगरानी हो पा रही है। विभाग में एआरटीओ (सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी) के 11 पद खाली हैं, जिसके कारण काम चलाने के लिए केवल कर अधिकारी और अन्य सहायक अफसरों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।
अधिकारियों की कमी से बढ़ी परेशानी, प्रभारी व्यवस्था के चलते दोहरी जिम्मेदारी
परिवहन विभाग में एआरटीओ के खाली पदों के चलते प्रभारी व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें कुछ अफसरों पर दोहरी जिम्मेदारी डाल दी गई है। इन अधिकारियों को वाहनों के प्रवर्तन (चेकिंग) और अन्य कर्तव्यों को एक साथ निभाना पड़ रहा है, जिससे वे न तो निगरानी का कार्य सही से कर पा रहे हैं, न ही अपनी मूल जिम्मेदारियों को। इस दोहरी भूमिका का असर परिवहन सुरक्षा पर पड़ा है, जो इस तरह के हादसों की आशंका को और बढ़ा सकता है।
क्षमता से अधिक सवारियां और निरीक्षण की कमी ने बढ़ाई चिंता
हादसे का शिकार हुई बस की क्षमता 43 सीटों की थी, लेकिन उसमें 63 यात्री सवार थे। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इस बस को पौड़ी से लेकर रामनगर क्षेत्र तक कहीं पर भी निरीक्षण के लिए नहीं रोका गया। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह का कहना है कि बस के कागजात पूरी तरह सही पाए गए हैं, लेकिन जहाँ भी चूक हुई है उसकी जाँच की जा रही है।
विभाग में जल्द होंगे नए एआरटीओ की नियुक्ति
संयुक्त परिवहन आयुक्त के अनुसार नए एआरटीओ की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और उनका प्रशिक्षण चल रहा है। उम्मीद है कि आगामी 5 से 7 माह में नए अफसरों की तैनाती हो जाएगी, जिससे विभाग की कार्यक्षमता में सुधार हो सकेगा और इस तरह की दुर्घटनाओं की रोकथाम में मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने घायलों का हालचाल जाना
इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए छह लोगों को हेलिकॉप्टर के माध्यम से एम्स ऋषिकेश लाया गया, जहां स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने पहुंचकर उनका हालचाल जाना। उन्होंने एम्स प्रशासन को निर्देश दिए कि घायलों के उपचार में किसी प्रकार की कमी न होने पाए और उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
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