उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में जंगलों में लगी आग ने इस बार विकराल रूप धारण कर लिया था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुमाऊं क्षेत्र में 902 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वन विभाग के अनुसार, इन घटनाओं में एक भी पेड़ पूरी तरह नहीं जला। पहाड़ी क्षेत्रों में जुड़ी नौ डिवीजनों में केवल एक पेड़ पूरी तरह से राख हुआ, जो पिथौरागढ़ डिवीजन में स्थित था।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून तक उत्तराखंड के जंगलों में कुल 1276 आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें 1771.665 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ। इस आग से गढ़वाल क्षेत्र में 720.105 हेक्टेयर, वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में 148.63 हेक्टेयर, और कुमाऊं क्षेत्र में 902 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ।
अल्मोड़ा सिविल सोयम और अल्मोड़ा डिवीजन में आग की चपेट में आने से 11 लोगों की जान चली गई। हालात पर काबू पाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी पड़ी।
हालांकि, पूरे फायर सीजन में पहाड़ी क्षेत्रों में केवल एक पेड़ पूरी तरह से जला।कुमाऊं क्षेत्र में पर्वतीय डिवीजनों की स्थिति चिंताजनक रही, जहां नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, और हल्द्वानी में जंगलों में आग की घटनाएं दर्ज की गईं। तराई के जंगलों में 12 पेड़ पूरी तरह से जलकर खाक हो गए।
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