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उत्तराखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण शख्सियत, केदारनाथ की विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया है। मंगलवार रात को देहरादून के मैक्स अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके भाई और उत्तराखंड प्रेस क्लब के अध्यक्ष अजय राणा ने इसकी पुष्टि की। 68 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ, और उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक स्थान पर किया जाएगा।कुछ माह पूर्व, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ की सीढ़ियों से गिरने के कारण शैलारानी की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया था। परिजनों द्वारा उन्हें हायर सेंटर ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी की गई, पर वह सफल नहीं हो पाई। इसके बाद, वह दो दिन तक वेंटिलेटर पर रहीं और जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रहीं। राजनीतिक सफरशैलारानी ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था और 2012 में विधानसभा पहुंची थीं। हरीश रावत की सरकार के दौरान कांग्रेस में हुई बगावत के समय शैलारानी भी पार्टी के नौ वरिष्ठ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें केदारनाथ सीट से टिकट दिया था, लेकिन वह हार गई थीं। 2022 में पार्टी ने उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया और इस बार उन्होंने जीत दर्ज की थी। उनके निधन के बाद अब यह सीट खाली हो गई है।

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वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शैलारानी रावत गिर गई थीं, जिससे उन्हें आंतरिक चोट आई थी। चोट से मांस फटने के कारण उन्हें कैंसर भी हो गया था। करीब तीन वर्ष तक चले इलाज के बाद वह स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटी और फिर से राजनीति में सक्रिय हो गईं। शैलारानी रावत की राजनीतिक यात्रा और उनके संघर्ष की कहानी हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी। उनके निधन से उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है।

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