राजाजी टाइगर रिजर्व, एक महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र, इन दिनों गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। जंगल में लगे कैमरा ट्रैप में बाघिन और उसके दो शावकों का कोई भी संकेत नहीं मिलने से अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गई हैं। पिछले 18 दिनों से ये बाघिन और उसके शावक कैमरा ट्रैप में दिखाई नहीं दिए हैं, जिससे उनके सुरक्षित होने की संभावना पर सवाल उठ रहे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ाने के उद्देश्य से जिम कार्बेट नेशनल पार्क से बाघ और बाघिनों को यहां लाया गया था। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य बाघों की संख्या में वृद्धि करना था, जो कि काफी हद तक सफल होता नजर आ रहा था। पिछले महीने दो बाघिनों ने शावकों को जन्म दिया था। इनमें से एक बाघिन ने एक शावक को जन्म दिया था, जबकि दूसरी बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था। यह खबर वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण अधिकारियों के लिए बेहद खुशी की बात थी।
एक बाघिन अपने शावक के साथ जंगल में भ्रमण करती हुई देखी गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह स्वस्थ और सुरक्षित है। परन्तु, दूसरी बाघिन के दो शावकों के शव पांच जून को जंगल में पाए गए थे। यह घटना राजाजी प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि उनकी बाघों की संख्या बढ़ाने की योजना को गहरा धक्का लगा था।
कैमरा ट्रैप और मौजूदा स्थिति
कैमरा ट्रैप, वन्यजीवों की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो वन्यजीवों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। हालांकि, बाघिन बहुत कम कैमरा ट्रैप में आती है, परंतु 18 दिनों से उसका एक भी बार कैमरा ट्रैप में न आना चिंताजनक है। इससे यह पुष्टि नहीं हो पा रही है कि बाघिन और उसके बचे हुए शावक जीवित हैं या नहीं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के वार्डन हरीश नेगी ने बताया कि बाघिन और शावकों को कैमरा ट्रैप में कैद करने के प्रयास जारी हैं। मॉनिटरिंग टीम भी जंगल में लगातार खोजबीन कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही बाघिन और उसके शावकों की कोई जानकारी मिलेगी, उसे सार्वजनिक किया जाएगा।
राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने बाघिन और शावकों की तलाश के लिए कई प्रयास शुरू किए हैं। जंगल में गश्त बढ़ा दी गई है और अनुभवी वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम को भी तैनात किया गया है। इसके अलावा, ड्रोन कैमरों का उपयोग भी किया जा रहा है, ताकि बाघिन और शावकों की स्थिति का पता लगाया जा सके।
बाघ संरक्षण के महत्व पर जोर
यह घटना बाघ संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है। बाघ भारतीय वन्यजीव संरक्षण का प्रतीक हैं और उनकी संख्या में कमी एक गंभीर समस्या है। राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयास निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं, परंतु ऐसी घटनाएं इन प्रयासों को चुनौती देती हैं। वन्यजीव संरक्षण के लिए जागरूकता और संसाधनों की आवश्यकता है, ताकि बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के प्रयासों के बावजूद, बाघिन और उसके शावकों की स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। यह घटना वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में नई चुनौतियों को उजागर करती है और हमें यह याद दिलाती है कि वन्यजीव संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास और सतर्कता की आवश्यकता है। उम्मीद है कि जल्द ही बाघिन और उसके शावकों की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी और वे सुरक्षित पाए जाएंगे।