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लोकसभा चुनावी रण में उत्तराखंड की पांच सीटों पर अधिकतर एक्जिट पोल ने कांग्रेस की झोली भले ही खाली बताई हो, लेकिन कांग्रेस अभी भी उलटफेर की उम्मीदें संजोए हुए है। प्रदेश में 30 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने हर चुनाव में कांग्रेस पर विश्वास बनाए रखा है और इस बार मतदान में आई कमी को पार्टी अपने लिए बेहतर परिणाम के रूप में देख रही है। हालांकि, राज्य में पिछले चार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका वर्ष 2019 में लगा था। वर्ष 2004 में कांग्रेस को 38.31 प्रतिशत, 2009 में 43.13 प्रतिशत, 2014 में 34.40 प्रतिशत और 2019 में 31.73 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इन सभी मत प्रतिशत में अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ी जातियों का गठजोड़ हरिद्वार और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाता है। इन दोनों सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। प्रदेश में मतदान का ग्राफ नीचे गिरा है, लेकिन अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ है। मतदाताओं के इस व्यवहार ने ही कांग्रेस के विश्वास को नया संबल दिया है।गढ़वाल संसदीय सीट में रामनगर और कोटद्वार में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या है। अनुसूचित जाति की संख्या भी लगभग 22 प्रतिशत मानी जाती है। अल्पसंख्यक और जातीय समीकरण के आधार पर कांग्रेस को भरोसा है कि गढ़वाल संसदीय सीट पर उसका प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इसी भरोसे के कारण कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को गढ़वाल सीट के अंतर्गत रामनगर और हरिद्वार में रुड़की में चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया।

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कांग्रेस विशेष रूप से हरिद्वार और गढ़वाल सीट पर बेहतर चुनाव परिणाम की आशा कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि चार जून को चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में रहेंगे। पार्टी बेहतर प्रदर्शन करने जा रही है।

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