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समाज में अपराध की घटनाएँ आए दिन सामने आती रहती हैं, लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो हमारी संवेदनाओं को झकझोर कर रख देती हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के किच्छा क्षेत्र से सामने आया है, जहाँ एक महिला ने बदनीयती से नाबालिग लड़की को युवक के साथ कमरे में बंद कर दिया। यह घटना न केवल घिनौने अपराध को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अपराधी अक्सर परिचित ही होते हैं, जिन पर हमें सबसे ज्यादा भरोसा होता है।

यह घटना किच्छा के वार्ड नंबर दो सौनेरा, सुभाषनगर बंगाली कालोनी, आजादनगर की है। शांति देवी, जो कि इस इलाके में रहती है, ने अपने पड़ोसी की 13 वर्षीय बेटी को अपने घर बुलवाया। परिचित होने के कारण लड़की की मां ने बिना किसी संदेह के अपनी बेटी को भेज दिया। शांति देवी ने अपने पड़ोस में रहने वाले युवक, अंकित पुत्र राधेश्याम, को भी अपने घर बुलवाया और दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद वह खुद बोरिंग पर नहाने चली गई।

लड़की के पिता को जब शक हुआ तो उसने अपनी बेटी को ढूंढना शुरू किया। जब उसने अपनी पत्नी से पूछा तो उसे बताया गया कि बेटी शांति देवी के घर गई है। शक के आधार पर वह तुरंत शांति देवी के घर गया। वहां पहुँचकर उसने खिड़की से देखा कि उसकी बेटी के साथ अंकित नग्न अवस्था में था। यह देख कर उसके होश उड़ गए। समय रहते वह अपनी बेटी को बचाने में सफल रहा, वरना कोई अप्रिय घटना हो सकती थी।

लड़की के पिता ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शांति देवी और अंकित के खिलाफ पाक्सो एक्ट सहित भारतीय दंड संहिता (भा.द.स.) की धारा 120 बी, 376, 511, 342 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है।

यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि हमें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए। परिचितों पर अंधविश्वास हमें कभी-कभी बड़ी समस्याओं में डाल सकता है। इस मामले में शांति देवी का कार्य न केवल अनैतिक था बल्कि आपराधिक भी। उसने अपनी जान-पहचान का गलत इस्तेमाल करते हुए एक मासूम बच्ची को खतरे में डाल दिया।

पाक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया कानून है। इसके तहत कड़ी सजा का प्रावधान है। धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा 376 (बलात्कार), धारा 511 (अपराध करने की कोशिश) और धारा 342 (गैरकानूनी रूप से बंधक बनाना) जैसे गंभीर अपराधों के तहत केस दर्ज किया गया है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि समाज में अपराध की जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सजग रहना होगा और उन्हें ऐसे व्यक्तियों से दूर रखना होगा जिनपर हम पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते। यह मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह समाज की नैतिकता और जिम्मेदारी का भी प्रश्न है। हमें मिलकर ऐसे अपराधों के खिलाफ आवाज उठानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

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