नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने दहरादून के कई निवासियों को बेघर कर दिया। इस समय जब गर्मी अपने चरम पर है, तब ये लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं। उनकी जीवनभर की पूंजी एक झटके में खत्म हो गई और उन्हें कोई पुर्नवास की व्यवस्था भी नहीं दी गई है।सोमवार को नगर निगम ने रिस्पना नदी किनारे स्थित मलिन बस्तियों पर बुलडोजर चलाया। सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में भारी पुलिस बल के साथ नगर निगम की टीम ने 35 अतिक्रमण ध्वस्त किए। यह कार्रवाई सुबह नौ बजे से शुरू होकर शाम चार बजे तक चली। कुल 525 अतिक्रमण चिन्हित किए गए थे, जिनमें से 89 नगर निगम के क्षेत्र में थे। एनजीटी ने इन्हें 30 जून तक हटाने के निर्देश दिए थेकार्रवाई के दौरान किसी भी विरोध की आशंका के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। सीओ डालनवाला और सीओ रायपुर के साथ 70 पुलिसकर्मी और पीएसी के जवान मौजूद थे। नगर निगम की 40 लोगों की टीम, जिनमें 30 मजदूर भी शामिल थे, ने यह कार्रवाई की।कार्रवाई के दौरान पीड़ित लोग रोते-बिलखते नजर आए। महिलाओं ने बताया कि उनकी जीवनभर की जमा पूंजी खत्म हो गई और अब उनके पास कोई ठिकाना नहीं है। दीप नगर में मकान तोड़ने पहुंची नगर निगम की टीम का लोगों ने विरोध किया, लेकिन उन्हें कोई सुनवाई नहीं मिली।चंदरनगर में रहने वाले राजकुमार गोयल का कहना है कि उनकी जमीन बैनामे की है और 2006 के बैनामा उनके पास मौजूद हैं, इसके बावजूद नगर निगम ने उनकी दीवार तोड़ दी। उन्होंने बताया कि उनके प्लॉट का मुख्य दरवाजा नेमी रोड पर है, लेकिन नगर निगम की जेसीबी ने उनकी जमीन पर बने शौचालय, बाउंड्रीवॉल और अन्य संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया।भीषण गर्मी में बेघर हुए लोग अब जाएं तो जाएं कहां, यही सवाल उनके मन में है। नगर निगम की कार्रवाई ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इन पीड़ितों के पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाता है।
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