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मंगलवार की सुबह उत्तराखंड की धरती भूकंप के झटके से डोल उठी। यह घटना सुबह करीब 6:43 बजे पिथौरागढ़ में घटित हुई, जब लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई, जो कि मध्यम श्रेणी में आती है। हालांकि, इस भूकंप की तीव्रता अपेक्षाकृत कम होने के कारण केवल कुछ ही लोगों ने इसे महसूस किया।उत्तराखंड राज्य भारत के भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में से एक है और यह भूकंप के जोन फाइव में आता है। जोन फाइव सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं। वैज्ञानिक और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियां बढ़ी हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप यहां बार-बार भूकंप आते हैं।

मंगलवार की सुबह आया यह भूकंप अपेक्षाकृत कम तीव्रता का था, जिसके चलते किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने भी पुष्टि की है कि इस भूकंप के कारण कोई भी हानि नहीं हुई है। फिर भी, लोगों में कुछ समय के लिए डर और चिंता का माहौल देखा गया।

उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप-प्रवण बनाती है। हिमालय पर्वत श्रृंखला की उत्पत्ति भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव से हुई है। इस टकराव के कारण यहां के भूगर्भीय संरचना में लगातार बदलाव होते रहते हैं, जो भूकंप का कारण बनते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह टेक्टोनिक प्लेटें लगातार एक-दूसरे की ओर बढ़ रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।

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उत्तराखंड में आए भूकंप ने एक बार फिर से यह याद दिलाया है कि यह क्षेत्र भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है। हालांकि इस बार का भूकंप कम तीव्रता का था और किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह भविष्य के लिए सचेत रहने की आवश्यकता को दर्शाता है। राज्य सरकार और नागरिकों को मिलकर भूकंप से निपटने के उपायों को और भी मजबूत करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की आपदा को कम से कम नुकसान के साथ सामना किया जा सके।

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