साहसिक अभियान का दुखद अंतकर्नाटक ट्रेकिंग एसोसिएशन का 22 सदस्यीय दल 29 मई को उत्तरकाशी के सिल्ला गांव से सहस्त्रताल के साहसिक अभियान के लिए रवाना हुआ था। इस ट्रेकिंग दल में 18 ट्रेकर बैंगलोर, कर्नाटक और एक ट्रेकर पुणे, महाराष्ट्र से शामिल थे, जिनके साथ तीन गाइड उत्तरकाशी के निवासी थे। इस दल ने पर्यटन और वन विभाग से 29 मई से 7 जून तक की अनुमति ली थी।
3 जून को यह दल बेस कैंप से सहस्त्रताल समिट के लिए निकला। लेकिन दुर्भाग्यवश, सहस्त्रताल क्षेत्र में अचानक मौसम खराब हो गया। वर्षा और बर्फबारी के कारण यह ट्रेकिंग दल बीच रास्ते में ही फंस गया। घने कोहरे ने स्थिति को और भी विकट बना दिया, जिससे दल का रास्ता भटक गया। इसके परिणामस्वरूप, दल के सदस्य भी आपस में बिछुड़ गए और उन्हें पत्थरों की आड़ में रात बितानी पड़ी।
मौसम की प्रतिकूलता और ठंड की वजह से चार ट्रेकरों की मृत्यु हो गई। मंगलवार की सुबह इस दुखद घटना की जानकारी दल के गाइड और अन्य सदस्यों को प्राप्त हुई।
इस स्थिति की जानकारी मिलते ही जिला आपदा प्रबंधन उत्तरकाशी सक्रिय हो गया। वन विभाग के दस सदस्यों की रेकी व रेस्क्यू टीम सिल्ला गांव से सहस्त्रताल के लिए निकल चुकी है। एसडीआरएफ का दल भी बुधवार तड़के टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार की ओर से रेस्क्यू की कार्रवाई शुरू कर चुका है।
रेस्क्यू ऑपरेशन के समन्वय में जुटे पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि एसडीआरएफ की माउंटेनियरिंग टीम देहरादून से हेलीकॉप्टर द्वारा एरियल रैकी के लिए रवाना हो रही है। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने जिला अस्पताल उत्तरकाशी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भटवाड़ी को अलर्ट पर रखा है।
आईटीबीपी मातली से भी 14 रेस्क्यूअर्स और एक चिकित्सक को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया है। एनआईएम से भी बैकअप टीम रवाना की जा रही है। टिहरी जिला प्रशासन ने अरदंगी हैलीपेड को अलर्ट मोड पर रखा है, जहां एम्बुलेंस टीम, लोनिवि और पुलिस की टीम तैनात की गई है।
कुल मिलाकर, यह एक दुखद घटना है, जिसमें कई ट्रेकरों की जान चली गई और कई गंभीर रूप से बीमार हैं। जिला प्रशासन और विभिन्न बचाव दल मिलकर फंसे हुए ट्रेकर्स को सुरक्षित बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। यह घटना हमें साहसिक अभियानों के दौरान मौसम और सुरक्षा उपायों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता को उजागर करती है। उम्मीद है कि बचाव दल जल्द ही सभी फंसे हुए ट्रेकर्स को सुरक्षित बाहर निकाल सकेंगे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकेंगे।