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सुप्रीम कोर्ट ने वन नेशन, वन राशन कार्ड इस तारिख से पहले लागु करने के दिए निर्देश

नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा है कि सभी राज्य जुलाई 2021 तक एक नेशन एक राशन योजना लागू करें। इसके साथ ही केंद्र को राज्यों को अतिरिक्त अनाज आवंटित करने का निर्देश देते हुए कहा है कि राज्यों को प्रवासियों को सूखा राशन वितरण के लिए एक योजना लानी चाहिए। राज्यों को प्रवासी श्रमिकों के लिए महामारी के अंत तक सामुदायिक रसोई चलानी चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों समेत सभी प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण का काम 31 जुलाई 2021 तक पूरा करें। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को हो रही समस्याओं पर स्वतरू संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। सुको ने 24 मई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान देशभर में प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की धीमी प्रक्रिया पर नाराजगी जताई थी, साथ ही लेबर रजिस्ट्रेशन स्कीम के स्टेटस के बारे में केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

पिछले साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करने का फैसला सुनाया था। प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर ध्यान देते हुए सुको ने कहा था कि उनके पंजीकरण की प्रक्रिया बेहद धीमी हो रही है और वह इस मामले पर केंद्र और राज्यों को निर्देश जारी करेगा। हालांकि जस्टिस अशोक भूषण और एमआर शाह ने कहा था कि वह राहत पैकेज के तौर पर रुपये देने का आदेश नहीं देंगे क्योंकि ये एक नीतिगत निर्णय है। सुको ने कहा था कि केंद्र और राज्यों को प्रवासी कामगारों और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों के पंजीकरण में तेजी लानी चाहिए। न सिर्फ प्रवासी मजदूर ही पंजीकरण के लिए सरकार से संपर्क करें, बल्कि सरकारों को भी उन्हें पंजीकृत कराने के लिए प्रवासियों से संपर्क करना चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब प्रवासी मजदूरों का पंजीकरण हो जाए तो सरकारें उन प्रवासी कामगारों को लाभ दे सकती हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान रोजगार खो दिया है। पीठ ने कहा था कि यह एक मुश्किल काम है, लेकिन इसे हासिल करना होगा। गौरतलब है कि पिछले साल जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उन प्रवासी श्रमिकों की पूरी सूची तैयार करने का आदेश दिया था जो अपने राज्य में पहुंच गए हैं और लिस्ट में ये भी बताने को कहा था कि वह लॉकडाउन के दौरान क्या कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को लॉकडाउन के बाद इन प्रवासी कामगारों के रोजगार के लिए योजनाओं को निर्दिष्ट करने के लिए भी कहा था। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार को उन सभी कल्याणकारी योजनाओं का विवरण देने के लिए कहा गया, जिनका लाभ प्रवासी श्रमिक उठा सकते हैं।

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